रांची: बीएयू में बुधवार को आईसीएआर की मसाला संबंधित दो दिवसीय कार्यशाला का समापन हुआ. वहीं झारखंड में हल्दी और अदरख की उत्पादकता बढ़ने पर जोर दिया गया है.
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में आइसीएआर की मसाला संबंधी अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के प्रभारी डॉ. अरुण कुमार तिवारी ने 29-30 सितंबर को परियोजना की दो दिवसीय वार्षिक ऑनलाइन कार्यशाला में भाग लेते हुए कहा कि कम जल जमाव, भुरभुरी मिट्टी और अन्य जलवायु अनुकूलता के कारण झारखंड में गुणवत्तायुक्त हल्दी और अदरख की उत्पादकता बढ़ाने के क्षेत्र में विस्तार की काफी संभवनाएं हैं.
ऑनलाइन प्रगति प्रतिवेदन
उन्होंने बीएयू के उद्यान विभाग में चल रहे प्रयोगों की ऑनलाइन प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि अदरख और हल्दी की जैविक खेती पर दो प्रयोग और विभिन्न किस्मों के अध्ययन पर दो प्रयोग चल रहे हैं. प्रयोगों में हल्दी की कुल 28 किस्में शामिल हैं. उन्होंने 28 सितबंर को आयोजित कार्यशाला से पहले की बैठक में भी भाग लिया.
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रांची: मसाला संबंधित दो दिवसीय कार्यशाला का समापन, हल्दी और अदरख की उत्पादकता बढ़ाने पर जोर
रांची में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में आईसीएआर की मसाला से संबंधित दो दिवसीय कार्यशाला का समापन बुधवार को हुआ है. इस कार्यशाला में हल्दी और अदरख की उत्पादकता बढ़ाने पर जोर देने की बात कही है.
दो दिवसीय कार्यशाला का हुआ समापन
इन लोगों ने लिया भाग
भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान, कोजीकोड (केरल) से संचालित इस कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में केरल कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर चंद्र बाबू, आइसीएआर के उप महानिदेशक (बागवानी) डॉ. एके सिंह, सहायक महानिदेशक (बागवानी) डॉ. विक्रमादित्य पांडेय, केंद्र सरकार के स्पाईसेज बोर्ड, कोची के सचिव डी साथियान ने भी भाग लिया है. वहीं कार्यशाला में 24 राज्यों में अवस्थित 38 शोध केंद्रों के वैज्ञानिकों ने भाग लिया.