रांची: सिविल सर्जन डॉ. विनोद कुमार इन दिनों जेनेटिक डिसऑर्डर के चलते होने वाली बीमारी थैलेसीमिया को मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना में शामिल कराने के प्रयास में लगे हैं. विभागीय पत्र लिखने के साथ साथ वह मुख्यमंत्री के सामने भी अपनी बात रख चुके हैं. सवाल यह है कि आखिर एक अधिकारी क्यों एक खास बीमारी को मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना में शामिल कराना चाहता है?
बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए 14 थैलसेमिक बच्चे का हुआ है चयन: राज्य में थैलीसीमिया के 600 के करीब वैसे बच्चे हैं जिनमें बीमारी की पहचान हो चुकी है, जिनमें से 14 बच्चों को बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए चयन किया गया है. बेंगलुरु के नारायणा हेल्थ केयर में थैलेसीमिया के 14 बच्चों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट होना है, जिसमें 15 लाख प्रति बच्चे खर्च आएगा. इसके लिए सीसीएल ने कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) के तहत हर बच्चे के बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए 10-10 लाख रुपये देने को तैयार है, पर बाकी का 05-05 लाख रुपये की व्यवस्था कैसे हो यह बड़ी समस्या है. ऐसे में रांची के सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार, झारखंड थैलेसीमिया फाउंडेशन के अतुल गेडा की कोशिश है कि थैलेसीमिया को मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना में शामिल किया जाए, ताकि इस योजना के तहत 5 लाख रुपये मिल जाएं और इन बच्चों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट हो सके.