रांची: उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलिंडर बुकिंग नहीं होने के पीछे गैस सिलिंडर का अप्रत्याशित दाम माना जा रहा है. वर्तमान समय में घरेलू गैस सिलिंडर का मूल्य 1160 रुपए है. जिसपर कहने को तो सब्सिडी 37 रुपए ग्राहक को भेजी जाती है, मगर ऐसा होता नहीं है.
ये भी पढ़ें:सरायकेला में उज्जवला योजना की हकीकत, चूल्हे के धुएं में कट रही महिलाओं की जिंदगी
राजस्थान सरकार के द्वारा रियायती दर पर महज 500 रुपये में गैस सिलिंडर उपलब्ध कराए जाने के बाद झारखंड के लोगों को भी उम्मीद जग गई है कि यहां भी महंगे गैस सिलिंडर से मुक्ति दिलाने का प्रयास सरकार करेगी. इसके पीछे दोनों राज्यों में कहीं ना कहीं सत्ता में कांग्रेस का होना माना जा रहा है. चुनाव पूर्व गैस सिलिंडर की यह राजनीति पुराना है. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 2018 में केन्द्र की मोदी सरकार ने पीएम उज्ज्वला योजना की शुरुआत कर खूब वाहवाही लूटी थी.
उज्ज्वला योजना के तहत 36 लाख से ज्यादा कनेक्शन: उज्ज्वला योजना के माध्यम से बीपीएल कार्ड धारक की महिलाओं को मुफ्त में गैस कनेक्शन के साथ एक सिलिंडर मुहैया कराना था. जिसका संचालन पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा किया जाता है. देश के अन्य राज्यों की तरह झारखंड में भी इसकी शुरुआत तामझाम के साथ की गई. 36 लाख से ज्यादा गैस कनेक्शन उज्ज्वला योजना से विभिन्न कंपनियों को प्राप्त हुए. शुरूआत में गैस सब्सिडी के तहत पैसा वापस होने की वजह से गरीबों को भी रियायती दर पर गैस सिलिंडर मिलते थे, मगर जैसे ही सब्सिडी समाप्त की गयी वैसे ही उज्ज्वला योजना के तहत गैस लेने वाले ग्राहकों की संख्या कम होती चली गई. हालत यह है कि अब करीब 7 लाख उज्ज्वला योजना के ग्राहक ही गैस सिलिंडर हर महीने लेते हैं.
गैस सिलिंडर नहीं लेने के पीछे ये है मुख्य वजह:उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलिंडर बुकिंग नहीं होने के पीछे गैस सिलिंडर का अप्रत्याशित दाम माना जा रहा है. वर्तमान समय में घरेलू गैस सिलिंडर का मूल्य 1160 रुपए है. जिसपर कहने को सब्सिडी 37 रुपए ग्राहकों को भेजी जाती है, मगर ऐसा होता नहीं है. एक गरीब परिवार जो रोजी रोटी की तलाश में दिनभर भटकता है उसके लिए हर महीने 1160 रुपए गैस सिलिंडर पर खर्च करना बेहद ही मुश्किल है. सबसे ज्यादा चिंताजनक स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों की है जहां उज्ज्वला योजना के तहत शहरी क्षेत्रों की तुलना में काफी कम बुकिंग गैस सिलेंडर की होती है. इसके अलावा गैस कनेक्शन धारियों को भी सिलेंडर की बुकिंग रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से करने की व्यवस्था है, उज्ज्वला योजना से जुड़े गैस कनेक्शन धारियों के मोबाइल नंबर या तो बदल चुके हैं या बंद हैं. ऐसे में ना तो इनके द्वारा सिलेंडर की बुकिंग कराई जाती है और ना ही उन्हें गैस मिल पाता है.
क्या कहते हैं लोग: गैस वितरक आफताब हुसैन की मानें तो जागरूकता की कमी की वजह से उज्ज्वला योजना से जुड़े गैस कनेक्शन धारियों के द्वारा सिलेंडर की बुकिंग नहीं हो पाती है. इसके पीछे बड़ी वजह मोबाइल नंबर भी है. गैस कंपनियों के प्रावधान के अनुसार अगर 180 दिन तक गैस सिलेंडर की बुकिंग किसी ग्राहक के द्वारा नहीं की जाती है तो उनका कनेक्शन अप्रभावी हो जाता है. इसके लिए उन्हें फिर से आधार कार्ड और अन्य कागजात लेकर गैस वितरक के पास जाना होगा.
रांची की गुड़िया कच्छप कहती हैं कि जिस वक्त उन्हें मुफ्त में गैस कनेक्शन दिया गया था तो यह कहा गया था कि उन्हें सिलेंडर भी मुफ्त में मिलता रहेगा. एक गरीब आदमी के लिए यह संभव नहीं है कि एक सिलेंडर पर 1200रुपया खर्च करे. ऐसे में गैस सिलेंडर के साथ-साथ कोयला एवं लकड़ी का भी इस्तेमाल लोग करने लगे हैं.
बहरहाल सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना भलें ही गरीबों के जीवन स्तर को उठाने और पर्यावरण को संरक्षित करने की सोच के साथ लाया गया हो. मगर बढ़ती महंगाई और घरेलू गैस सिलिंडर के दामों में लगातार हो रही वृद्धि की वजह से दम तोड़ने लगी है.