रांची: झारखंड में इन दिनों एक जुमला चल पड़ा है कि यहां 20 वर्षों तक भाजपा के हाथ में शासन रहा. भाजपा ने इस राज्य को हर मोर्चे पर पीछे धकेल दिया. डबल इंजन की सरकार सिर्फ लूट वाली सरकार थी. हाल के दिनों में खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस बात को मुखर होकर कहते रहे हैं. राज्य की बदहाली के लिए भाजपा को जिम्मेवार ठहराते हैं. अब सवाल है कि क्या वाकई 20 वर्षों तक भाजपा ने इस राज्य पर राज किया है. इसका जवाब जानना और समझना इसलिए जरुरी है क्योंकि यह राज्य चुनावी वर्ष में एंट्री से महज एक कदम दूर है.
23 वर्षों के शासनकाल का लेखा जोखा निकालने पर जो नतीजा सामने आया है उसके मुताबिक 23 दिसंबर 2023 तक भाजपा करीब 13 साल 2 माह तक सत्ता में रही. झामुमो के पास वर्तमान कार्यकाल को मिलाकर सत्ता की बागडोर करीब 6 साल से है. कांग्रेस के सहयोग से मधु कोड़ा ने 1 साल 11 माह तक शासन किया. जबकि राज्य में करीब 1 साल 9 माह तक राष्ट्रपति शासन रहा. गौर करने वाली बात है कि अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में 11 सितंबर 2010 को बनी सरकार में हेमंत सोरेन बतौर डिप्टी सीएम थे. इससे पहले झामुमो ने भाजपा के सहयोग से करीब 7 माह तक शासन किया था. चूकि तीन बार जब राष्ट्रपति शासन लगा तो केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार थी. लिहाजा.
झारखंड के 23 वर्षों में 13 साल भाजपा और शेष 10 साल यूपीए के हाथ में ही सत्ता की बागडोर रही. जहां तक जेएमएम की बात है तो कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस के साथ राज्य में तकरीबन 11 साल से अधिक तक सत्ता में रहा है. राज्य में पांच बार बीजेपी के नेता सीएम बने तो पांच बार जेएमएम के नेता ने भी सीएम पद की शपथ ली. इसलिए यह कहना कि इस राज्य पर सबसे लंबे समय तक भाजपा ने राज किया है, यह निराधार और तथ्यहीन है. इसको समझने के लिए आप नीचे दिए गये सभी मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल और राष्ट्रपति शासन की अवधि की गणना खुद कर सकते हैं.
बिहार से अलग होने पर भाजपा को मिली बागडोर:सभी जानते हैं कि देश के 28वें राज्य के रुप में झारखंड का गठन 15 नवंबर 2000 को हुआ था. सत्ता की बागडोर भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी को मिली थी. वह पहले मुख्यमंत्री के तौर पर उनका कार्यकाल 15 नवंबर 2000 से 18 मार्च 2003 तक यानी करीब 2 साल और 4 माह तक रहा. डेमिसाइल विवाद में कुर्सी गंवाने के बाद भाजपा के अर्जुन मुंडा को सीएम की जिम्मेवारी मिली. उन्होंने 18 मार्च 2003 से 2 मार्च 2005 तक यानी करीब 1 साल 11 महीना और 12 दिन तक शासन चलाया.
पहले चुनाव में अस्थिरता का बीजारोपण:इसके बाद हुए पहले चुनाव में 30 सीटों पर जीत के साथ भाजपा सबसे पड़ी पार्टी बनकर सामने आई. इसके बावजूद महज 17 सीटे जीतने वाली झामुमो पार्टी के अध्यक्ष शिबू सोरेन 2 मार्च 2005 को मुख्यमंत्री बन बैठे. लेकिन 12 मार्च 2005 को बहुमत साबित नहीं करने पर कुर्सी छोड़नी पड़ी. पहले चुनाव के नतीजों झारखंड में राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर दी. शिबू सोरेन के हटने पर भाजपा के अर्जुन मुंडा दोबारा 12 मार्च 2005 को सीएम बने लेकिन 18 सितंबर 2006 को यानी 1 साल 6 माह में सरकार गिर गई. उनकी जगह कांग्रेस के समर्थन से पहली बार निर्दलीय के रुप में मधु कोड़ा 18 सितंबर 2006 को मुख्यमंत्री बने. लेकिन 28 अगस्त 2008 को 2 साल पूरा होने से 20 दिन पहले ही उनकी सरकार गिर गई. फिर उनकी जगह भाजपा के सहयोग से शिबू सोरेन 28 अगस्त 2008 को दूसरी बार मुख्यमंत्री बने. लेकिन 18 जनवरी 2009 को महज 4 माह 20 दिन में ही उनकी सरकार गिर गई. इसके बाद राज्य में पहली बार राष्ट्रपति शासन लगा जो 19 जनवरी 2009 से 29 दिसंबर 2009 तक चला. लिहाजा फरवरी 2010 में दूसरी चुनाव कराने से करीब दो माह पहले की दूसरी बार दिसंबर 2009 में ही विधानसभा का चुनाव कराना पड़ा.