रांची: आदिवासियों की अपनी धार्मिक पहचान की मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलन जारी रहा है. ऐसे में विधानसभा के मानसून सत्र में सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पारित हो गया है. अब इसे मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा. आदिवासियों को अपनी धार्मिक पहचान मिलने के बाद आदिवासी समाज में एक अलग से उत्साह का संचार देखने को मिल रहा है. आदिवासी समाज के नेता और अगवा आदिवासी सांस्कृतिक वेशभूषा, ढोल नगाड़ों के साथ विजय जुलूस निकाल रहे हैं और साथ ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का आभार व्यक्त कर रहे हैं.
आदिवासी मामलों के जानकार डॉक्टर करमा उरांव ने कहा कि आदिवासियों के अधिकार को लेकर जो सरना आदिवासी धर्मकोड पारित कर केंद्र में भेजा गया है, मानो यह पारित हो गया है. उन्होंने कहा कि झारखंड में आदिवासियों को एक पहचान मिली है, केंद्र में लड़ाई जारी रहेगी, झारखंड में आदिवासियों को एक अलग पहचान आदिवासी धर्म कोड के रूप में मिला है. आदिवासी धर्म गुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि सरना आदिवासी धर्म कोड झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा से पारित कर केंद्र में भेज दिया है, निश्चित रूप से यह आदिवासियों के हितों के लिए होगा, आगे केंद्र में लड़ाई जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से इस बिल को पास कराने को लेकर आदिवासी समाज के लोग एकजुट रहेंगे. आदिवासी नेताओं में खुशी विधानसभा से लेकर सरकार तक आदिवासियों की अलग पहचान को लेकर मुखर होकर आवाज उठाने वाले विधायक बंधु तिर्की ने भी सरना आदिवासी धर्म कोड के प्रस्ताव को विधानसभा से पास कर केंद्र में भेजने पर खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पहल पर झारखंड में आदिवासियों की अस्तित्व और पहचान को लेकर सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव लाया गया है, 2021 की जनगणना प्रपत्र में आदिवासियों को एक अलग से आदिवासी कॉलम बनाई जाएगी, इसको लेकर केंद्र तक आवाज उठाई जाएगी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मुद्दों को लेकर कहा है कि केंद्र सरकार से भी बातें की जाएगी.
विधानसभा के विशेष सत्र आहूत करने को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आदिवासी/ सरना धर्म कोड परिपत्र जारी किया था, जिसके बाद विभिन्न आदिवासी संगठनों में आदिवासी/ को हटाने की मांग की थी. सदन के अंदर भी आदिवासी/ सरना धर्म कोड को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच चर्चा की गई, जिसके बाद आदिवासी /सरना धर्म कोड से (/) हटाकर सरना आदिवासी धर्मकोड पारित किया गया. उसके बाद से आदिवासी संगठनों में उत्साह का लहर देखने को मिल रहा है. आदिवासी समाज के लोग उत्साहित होकर सड़कों पर झूमते गाते नजर आए.