रांची: झारखंड के आयुष्मान कार्ड वाले गरीब मरीज निजी अस्पतालों में इलाज के लिए मारे मारे फिर रहे हैं. गंभीर बीमारी के इलाज के लिए सीएमसी, वेल्लोर जाने पर वहां आयुष्मान कार्ड को कोई वैल्यू नहीं दिया जाता है. वेल्लोर तो दूर की बात है, रांची के मेडिका और मेदांता अस्पताल में जरूरी ऑपरेशन नहीं किए जाते हैं. प्रश्नकाल के दौरान विधायक प्रदीप यादव ने इसे गंभीर मामला बताते हुए सरकार से पूछा कि इस परेशानी का समाधान क्या है. जवाब में प्रभारी मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि राज्य में कुल 831 सरकारी और निजी अस्पताल सूचीबद्ध हैं. जहां गरीबों की इलाज की व्यवस्था है. हर माह करीब 25 से 30 करोड़ का भुगतान किया जा रहा है.
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उन्होंने कहा कि झारखंड में मेडिका और मेदांता अस्पताल भी आयुष्मान से निबंधित है. इसलिए वहां इलाज में कोई दिक्कत नहीं हो सकती. इस पर प्रदीप यादव ने कहा कि उनके पास जो जानकारी है उसके मुताबिक मेडिका और मेदांता अस्पताल का आयुष्मान से इलाज मद में करोड़ों रुपए बकाया है. हो सकता है इसकी वजह से मरीजों को एडमिट करने में कोताही बरतते हों. लेकिन यहां सवाल सीएमसी, वेल्लोर से जुड़ा हुआ है. जहां गरीब मरीज गंभीर बीमारी के इलाज के लिए जाते हैं, लेकिन वहां आयुष्मान कार्ड को तरजीह नहीं दी जाती है. प्रदीप यादव के समर्थन में बिरंचि नारायण, सुदिव्य कुमार सोनू और इरफान अंसारी ने भी अपने अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों की परेशानी साझा की. बिरंची नारायण ने कहा कि बड़े अस्पताल इसलिए ऑपरेशन नहीं करना चाहते क्योंकि आयुष्मान के तहत बहुत कम रेट फिक्स है. ऐसे में सरकार को अपने स्तर से रेट रिवाइज करना चाहिए.
इस गंभीर मसले पर चर्चा के दौरान विभागीय मंत्री बन्ना गुप्ता के आने तक प्रश्न को स्थगित करने की भी बात हुई लेकिन प्रभारी मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि माननीयों के सभी सुझाव पर विचार होगा. उन्होंने सलाह दी है कि अगर किसी के इलाज में कोताही होती है तो वह 104 नंबर हेल्पलाइन पर सूचना दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि सीएमसी, वेल्लोर में किडनी और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए लोग जाते हैं. उसके लिए मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना का लाभ दिया जाता है. फिर भी अगर राज्य में आयुष्मान से लिस्टेड अस्पताल प्रबंधन इलाज से मना करते हैं तो जानकारी देने पर कार्रवाई होगी.