हजारीबाग: गांव की महिलाएं अब जागरूक हो रही हैं. इसका एक छोटा सा उदाहरण हजारीबाग के कटकमदाग प्रखंड में है, जहां पसई गांव कि लगभग 40 महिलाओं ने मशरूम उत्पादन करने का प्रशिक्षण लिया है. इनमें से कई ऐसी महिलाएं हैं जो कभी हड़िया बेचा करती थी. लेकिन अब ये हड़िया ना बेचकर मशरूम का उत्पादन करना चाहती हैं. जिससे कि उसे समाज में शोहरत भी मिले और वह पैसा भी कमा पाएं.
हजारीबाग में अब हड़िया नहीं बेचेंगी ग्रामीण महिलाएं, ले रही हैं मशरूम उत्पादन करने का प्रशिक्षण - ETV News Jharkhand
हजारीबाग के एक गांव में महिलाओं ने अब हड़िया ना बेचकर मशरूम उत्पादन करने का फैसला लिया है. इसके लिए गांव की महिलाओं ने मशरूम उत्पादन करने का प्रशिक्षण भी लिया. वे प्रशिक्षण प्राप्त कर खुश हैं और शोहरत के साथ पैसा कमाना चाहती हैं.
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ग्रामीण क्षेत्र की इन महिलाओं में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिल रहा है. महिलाएं घर से बाहर निकल कर विभिन्न सहायता समूह से जुड़कर आर्थिक रूप से संपन्न हो रही हैं. हजारीबाग जिला उद्यान विभाग की ओर से उद्यान विकास योजना 2021-22 के तहत कटकमदाग प्रखंड के पसई गांव की रहने वाली लगभग 40 महिलाओं को प्रखंड स्थित पसई पंचायत भवन सभागार में पांच दिवसीय मशरूम उत्पादन करने का प्रशिक्षण दिया गया. पंचायत की मुखिया भी बताती हैं कि महिलाओं को जागरूक किया जा रहा है. महिलाएं भी यह समझ रही हैं कि हमें सड़क किनारे हड़िया नहीं बेचना है. इसलिए महिलाएं अपनी इच्छा से प्रशिक्षण ले रही हैं.
कई ऐसी महिलाएं भी हैं जो किचन गार्डन में मशरूम उत्पादन करना चाहती है. उनका कहना है कि पहले वे अपने परिवार के खाने के लिए मशरूम का उत्पादन करेंगी. फिर जब उन्हें उत्पादन करने की सारी जानकारी मिल जाएगी तब वे व्यवसायिक दृष्टिकोण से भी इसका उत्पादन करेंगी. मशरूम उत्पादन करने का प्रशिक्षण लेकर महिलाएं भी काफी खुश हैं. महिलाओं का यह भी कहना है कि वे अपने बच्चों को भी अगर मशरूम का सेवन कराएंगी, जिससे वह स्वस्थ भी रहेंगे और खाने में स्वाद भी मिलेगा. सोच बदलने से जीवन जीने का सैली भी बदलता है. ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं हड़िया छोड़कर मशरूम के उत्पादन करने जा रही है जो उनके उज्ज्वल भविष्य को भी दर्शाता है.