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धनतेरस पर झाड़ू क्यों खरीदते हैं लोग, सदियों पुरानी है परंपरा - Mythology of Dhanteras

दीपावली से ठीक दो दिन पहले धनतेरस पर्व मनाया जाता है. इस त्योहार पर लोग शुभ के लिए अपनी-अपनी हैसियत के हिसाब से सोना-चांदी से बने आभूषण से लेकर पीतल के बर्तन तक खरीदते हैं.

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धनतेरस पर झाड़ू क्यों खरीदते हैं लोग, झारखंड में अनोखी परंपरा

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Published : Nov 1, 2021, 6:36 PM IST

Updated : Nov 3, 2021, 7:02 PM IST

रांची:दीपावली से ठीक दो दिन पहले धनतेरस पर्व मनाया जाता है. इस त्योहार पर लोग शुभ के लिए अपनी-अपनी हैसियत के हिसाब से सोना-चांदी से बने आभूषण से लेकर पीतल के बर्तन तक खरीदते हैं. लेकिन इन सब वस्तुओं के साथ एक ऐसी चीज है जिसे धनतेरस पर जरूर खरीदते हैं, वह है झाड़ू. इस परंपरा को झारखंड में सदियों से निभाया जा रहा है. लोग धनतेरस पर खरीदी गई झाड़ू को मां लक्ष्मी का प्रतीक मानकर पूजा करते हैं. इस वर्ष धनतेरस मंगलवार यानी 2 नवंबर को है, जिसके लिए झारखंड की राजधानी रांची के बाजारों में झाड़ू की विशेष डिमांड देखी जा रही है.

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झाड़ू पूजन की यह है मान्यता

पौराणिक मान्यता के अनुसार धनतेरस (Mythological belief of Dhanteras) के दिन जिन चीजों की खरीदारी की जाती है, वह तेरह गुना और बढ़ जाती हैं. इसके अलावा इस दिन झाड़ू खरीदने की भी परंपरा है, जिसे धनतेरस पर खरीदना शुभ माना जाता है. रांची सूर्य मंदिर के मुख्य पुजारी विरासत मिश्र की मानें तो झाड़ू को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है, मां लक्ष्मी के प्रशन्न होने से दरिद्रता भागती है. इस वजह से धनतेरस के दिन हर घर में एक नई झाड़ू जरूर लोग खरीदते हैं.

रांची सूर्य मंदिर के मुख्य पुजारी विरासत मिश्र ने बताया कि मत्स्य पुराण में झाड़ू को मां लक्ष्मी का रूप माना गया है. इसीलिए घर में झाड़ू पैर से छू जाती है तो इसे भी अशुभ माानते हैं. इसीलिए घर में झाड़ू से घर साफ करने के बाद ऐसी जगह रख दी जाती है जहां पैर न लगे. अपर बाजार में खरीदारी करने पहुंची रेणु देवी ने बताया कि हर वर्ष धनतेरस को वो झाड़ू खरीदकर पूजा करने के बाद इसका उपयोग साफ सफाई के लिए करती हैं.

इसलिए खरीदते हैं झाड़ू

धनतेरस की मान्यता (Mythology of Dhanteras) के मुताबिक झाड़ू सुख-शांति बढ़ाने और दुष्ट शक्तियों का सर्वनाश करने वाली भी होती है. ऐसी मान्यता है कि झाड़ू घर से दरिद्रता हटाती है और इससे दरिद्रता का नाश होता है. धनतेरस पर घर में नई झाड़ू से झाड़ू लगाने से कर्ज से भी मुक्ति मिलती है. इसीलिए इस दिन झाड़ू खरीदने की पुरानी परंपरा है.

1972 से हर वर्ष धनतेरस के अवसर पर झाड़ू खरीदने वाले हरमू के राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने से लक्ष्मी माता रूठकर घर से बाहर नहीं जाती हैं और वह घर में स्थिर रहती हैं. इसीलिए इस दिन लोग झाड़ू खरीदकर अपने घरों में रखते हैं और लक्ष्मी माता का स्वागत करने के लिए पूरी रात जागते हैं. झाड़ू से घर में सकारात्मकता का संचार होता है. यही वजह है कि हर घर में सफाई के लिए सबसे पहले झाड़ू लगाया जाता है.

झाड़ू के कई नाम

हमारे दैनिक जीवन में अनेक वस्तुओं का उपयोग होता है जिसमें सबसे महत्वपूर्ण और उपयोगी पवित्र वस्तु के रूप में झाड़ू मानी जाती है. झाड़ू को अनेक नामों से जाना जाता है जैसे कलुषनाशिनी, सम्मार्जनी, झाड़ू, वाढ़न, कूचा, बढ़नी, कोस्ता, पोचड़ा आदि. इसे घर की साफ-सफाई के लिए हर दिन उपयोग किया जाता है.

धनतेरस को लेकर बाजारों में रौनक

धनतेरस पर रांची में बाजार सज चुके हैं.आभूषण की दुकान से लेकर बर्तन तक की दुकानें खास तौर पर सजाई गईं हैं, मगर इन सबके बीच झाड़ू की दुकान भी सजी हैं. बाजार में नारियल की झाड़ू से लेकर प्लास्टिक झाड़ू तक उपलब्ध हैं.लेकिन सबसे ज्यादा डिमांड नारियल और फूलवाली झाड़ू की है.

झाड़ू व्यवसायी विकास कुमार तिवारी के अनुसार वैसे तो धनतेरस पर हमेशा झाड़ू की डिमांड रही है मगर दस वर्षों से हर हिन्दू परिवार के लोग झाड़ू जरूर खरीदते हैं.रांची के बाजार तक पहुंचने वाला झाड़ू प. बंगाल और झारखंड बिहार में बनाई जाती है.रांची के ग्रामीण इलाकों में एसएचजी ग्रुप बड़े पैमाने पर झाड़ू बनाती है. एक अनुमान के अनुसार इस बार धनतेरस के अवसर पर राज्यभर में 2 से 5 करोड़ का झाड़ू बिकने की संभावना है.

Last Updated : Nov 3, 2021, 7:02 PM IST

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