रांची:भारत के कई राज्यों में लंपी वायरस ने गौ वंशीय पशुओं, खासकर गायों में तबाही मचाई है. वहीं, झारखंड में यह ज्यादा मारक साबित नहीं हुआ (Lumpy Virus in Jharkhand). बावजूद इसके राज्य के छह जिलों में लंपी स्किन डिजीज (Lumpy Skin Disease LSD) की पुष्टि हो चुकी है और करीब 12 पशुओं की मौत लंपी डिजीज से हुई है. ऐसे में यह बीमारी राज्य में विकराल रूप न ले इसके लिए झारखंड राज्य पशुपालन विभाग (Jharkhand Animal Husbandry Department) ने लंपी स्किन डिजीज को रोकने में बेहद कारगर साबित हुए गॉट पॉक्स वैक्सीन (Goat Pox Vaccines) की 8,90,000 डोज की खरीद की है और हर जिले को प्रथम चरण में 35-35 हजार वैक्सीन भेजा गया है जिसे पशुपालक, जिला या प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी से संपर्क कर अपने गाय और भैंस को दिलवा सकते हैं.
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दो महीने पहले राज्य में मिला था लंपी स्किन डिजीज का पहला मामला:रांची के कांके स्थित पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान के निदेशक डॉ बिपिन माहथा ने बताया कि राज्य में दो महीने पहले लंपी स्किन डिजीज ने दस्तक दी थी और अब यह कमजोर पड़ रहा है. डॉ माहथा ने बताया कि पूर्व में सभी जिला के पशुपालन अधिकारी को वैक्सीन के लोकल परचेज के लिए 14-14 हजार रुपये दिए गए थे, जिससे वैक्सीन खरीद कर पशुओं को दिया गया. अब 8 लाख 90 हजार वैक्सीन की खरीददारी कर उसे सभी जिलों में भेजा गया है. उन्होंने बताया कि अभी तक 7 जिले लंपी स्किन डिजीज से प्रभावित है और 80 हजार पशुओं को वैक्सीनेट किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि राज्य के अलग-अलग 250 जगहों से संदिग्ध पशुओं का सैंपल लेकर नेशनल हाई सिक्योरिटी लैब, भोपाल भेजा गया था, जिसकी रिपोर्ट में 6 जिलों में लंपी स्किन डिजीज की पुष्टि हुई थी. डॉ बिपिन महथा ने कहा कि राज्य के रांची, हजारीबाग, चतरा, देवघर, जमशेदपुर और जामताड़ा में लंपी वायरस से संक्रमित संदिग्ध पशु मिले हैं.
डॉ बिपिन माहथा, निदेशक, पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान
क्या होता है लंपी स्किन डिजीज:पशु चिकित्सकों के अनुसार लंपी स्किन डिजीज मुख्यतः गौवंशीय पशुओं में होने वाली वायरल डिजीज है, जो मुख्य रूप से संक्रमित मक्खियों-मच्छरों और चमोकन के काटने से पशुओं में फैलता है. इससे ग्रसित पशुओं के आंख नाक के स्राव, लार घाव के स्राव और कोटि के संपर्क में आने से स्वस्थ पशुओं में भी संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है. वहीं, बीमार दुधारू गाय भैंस के थन के आसपास घाव होने की वजह से दूध पीने वाले बाछा-बछियों, पारा-पारियों, में भी इस बीमारी के होने का खतरा रहता है. पशुपालन विभाग की ओर से दी गयी जानकारी के अनुसार संक्रमित गर्भवती गाय-भैंस से नवजात बच्चे को भी बीमारी हो जाती है. संक्रमित सांड-भैंसे से भी गर्भाधान के समय यह बीमारी स्वस्थ पशु को हो सकता है.
लंपी वायरस के लक्षण:शुरुआत में वायरल बीमारी लंपी स्किन डिजीज से ग्रसित पशुओं के संक्रमण के आंख और नाक से स्राव होता है. वहीं, तेज बुखार और दूध में कमी आ जाती है.
उसके बाद पशुओं के त्वचा पर गांठदार घाव का उभरना शुरू होता है, जो धीरे-धीरे पूरे शरीर पर फैल जाता है. मादा पशुओं में आमतौर पर थनैला भी इस दौरान हो जाता है, वही कुछ पशुओं में लंपी स्किन डिजीज की वजह से निमोनिया के लक्षण भी उभरते हैं इस बीमारी में मोर्टालिटी रेट 10% तक है.
पशुओं को लंपी वायरस से कैसे बचाएं:पशुपालन विभाग की ओर से पशुपालकों में जागरूकता लाई जा रही है और उन्हें बताया जा रहा है कि लंपी स्किन डिजीज से पशुओं को कैसे बचाया जाए. उन्हें बताया जा रहा है कि समय-समय पर पशुओं का टीकाकरण, एलएसडी के लक्षण वाले पशु की जानकारी होते ही नजदीकी पशु चिकित्सक को पूरी जानकारी देने, बीमारी शुरू होते ही इलाज शुरू कर देने के साथ साथ बीमार पशुओं को आइसोलेट कर देने के साथ-साथ साफ सफाई पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. पशुपालन विभाग के डॉक्टर बताते हैं कि गाय भैंस के रहने की जगह और आसपास की साफ-सफाई रखें, पानी नहीं जमने दें और पशुओं को मच्छर मक्खी एवं चमोकन के काटने से बचाएं, संक्रमित पशुओं को चारागाह में ना भेजें और ना ही संक्रमित पशुओं का खरीद बिक्री करें, इससे बीमारी के प्रसार को रोका जा सकता है.