रांची:झारखंड में डीजीपी नीरज सिन्हा ने पदभार ग्रहण करने के बाद नक्सल गतिविधियों पर लगाम कसने के साथ-साथ बेहतर पुलिसिंग के लिए तीन तरह से काम करने का निर्णय लिया है. नक्सल प्रभाव वाले इलाकों में आगजनी की वारदातों को रोकने के लिए इलाके के थानेदारों के ऊपर बड़ी जिम्मेदारी तय की गई है. वहीं जिलों की पुलिसिया सिस्टम सुधारने को लेकर पुलिस मुख्यालय ने बॉडीगार्ड की तैनाती से लेकर पुलिस लाइन की व्यवस्था सुधारने को लेकर भी अहम फैसले लिए हैं.
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छह महीने में बदले जाएंगे बॉडीगार्ड
झारखंड के सभी जिलों में बॉडीगार्ड के तौर पर तैनात पुलिसकर्मियों को हर छह महीने में बदला जाएगा. इस संबंध में सभी जिलों के एसपी को आईजी अभियान के द्वारा आदेश जारी किया गया है. इस आदेश के मुताबिक, सभी जिलों के एसपी को यह सुनिश्चित करना है कि गार्ड के तौर पर तैनात पुलिसकर्मी एक जगह पर छह महीने से अधिक तैनात नहीं रहें. पूर्व में भी बॉडीगार्ड के तौर पर तैनात पुलिसकर्मियों को दोबारा बॉडीगार्ड के तौर पर ही तैनात करने के आदेश पर पुलिस मुख्यालय ने रोक लगाई थी. पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों के मुताबिक, गार्ड की तैनाती प्रोफेशनल तरीके से हो इसके लिए छह महीने के अंतराल पर गार्ड हटाने का नियम बनाया जा रहा है. कई बार बॉडीगार्ड लंबे समय से एक ही जगह रहने की स्थिति में प्रोफेशनल तरीके से काम के बजाय निजी स्टाफ की तरह काम लिए जाने के मामले भी सामने आए हैं. राज्य पुलिस के द्वारा बॉडीगार्ड के एवज में भुगतान के लिए भी जिलों के एसपी के द्वारा मुख्यालय के आदेश पर नोटिस जारी किए जा रहे हैं.