रांची: प्रदेश की दो राज्यसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव में तीन उम्मीदवारों के चुनावी समर में उतरने से मुकाबला रोमांचक होने की उम्मीद बढ़ गई है. राज्य की खाली हो रही दो सीटों पर एक तरफ जहां सत्ता पक्ष महागठबंधन ने दो उम्मीदवार दिए हैं वहीं दूसरी तरफ विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने एक उम्मीदवार उतारा है.
विधायकों का समर्थन
वैसे तो मतदान में अभी समय है, लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्षी खेमे की नजर उन कथित 'कमजोर कड़ियों' पर टिकने लगी है जो चुनाव के समय पाला बदल सकते हैं. झारखंड विधानसभा के आंकड़ों को देखें तो सत्ता पक्ष और विपक्ष के पास एक-एक सीट के लिए पर्याप्त संख्या बल नजर आता है, वहीं दूसरी तरफ इन सबके बीच अपने 16 विधायकों और बंधु तिर्की और प्रदीप यादव के समर्थन के साथ कांग्रेस फिलहाल अट्ठारह विधायकों के साथ इंटैक्ट नजर आती है. ऐसे में दूसरी सीट के लिए उसे कम से कम नौ और विधायकों का समर्थन चाहिए.
सोरेन और दीपक प्रकाश के पक्ष में आंकड़ें
आंकड़ों की बाजीगरी पर नजर डालें तो झामुमो के उम्मीदवार शिबू सोरेन ने तीन अलग-अलग सीटों में नामांकन किया है, जिनमें सभी 29 झामुमो विधायक के अलग-अलग हस्ताक्षर भी हैं. इससे यह यह मैसेज देने की भी कोशिश की गई है कि जेएमएम के सभी विधायकों की पहली प्राथमिकता शिबू सोरेन होंगे. बीजेपी के दीपक प्रकाश के पास पार्टी के 25 विधायकों के अलावा बाबूलाल मरांडी और बरकट्ठा से निर्दलीय विधायक अमित यादव समेत आजसू के 2 विधायकों के समर्थन का दावा किया गया है. इन आंकड़ों के हिसाब से वह भी जीत की तरफ आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन सारे आंकड़े कांग्रेस की उम्मीदवारी के बीच कितने जमीन पर उतरेंगे यह देखने वाली बात होगी.
ये भी पढ़ें-कोरोना का कहरः अगले आदेश तक CUJ बंद, DSPMU में भी बायोमेट्रिक अटेंडेंस पर बैन
कमजोर कड़ी पर सबकी नजर
कांग्रेस खेमे की बात करें तो पार्टी ने रामगढ़ के शहजादा अनवर पर दांव खेला है. अनवर राज्यसभा चुनाव के हिसाब से नए खिलाड़ी हैं, लेकिन उनके पीछे झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रभारी आरपीएन सिंह समेत जेएमएम खड़ी है. ऐसे में अब कांग्रेस और जेएमएम की नजर निर्दलीय विधायकों समेत विपक्षी खेमे के कमजोर कड़ी पर है, साथ ही आजसू की तरफ जेएमएम और कांग्रेस के मैसेंजर डोरे डालने में भी लगे हैं. दरअसल पिछले विधानसभा चुनाव में आजसू ने बीजेपी से राहें अलग कर ली थी और अभी भी गठबंधन को लेकर उसने कुछ क्लियर नहीं किया है. भले ही बीजेपी के उम्मीदवार के प्रस्तावक के रूप में आजसू के लंबोदर महतो ने हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन पार्टी ने स्पष्ट तौर पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं.
विवादास्पद रहा है झारखंड में राज्यसभा चुनाव का इतिहास
झारखंड में राज्यसभा चुनाव का इतिहास काफी विवादों में रहा है. देश का यह पहला राज्य था, जहां बड़ी मात्रा में राज्यसभा चुनाव से पहले कथित तौर पर विधायकों को देने के लिए पैसे लेकर लोग गाड़ियों में घूम रहे थे. वैसी ही एक गाड़ी चुनाव के दौरान पकड़ी गई और उसके बाद राज्यसभा चुनाव रद्द कर दिए गए. इतना ही नहीं झामुमो ने जब बसंत सोरेन को उम्मीदवार बनाया तो उन्हीं के दल के कुछ विधायक कथित तौर पर बीमार पड़ गए और वोट डालने नहीं पहुंच पाएं, जिसकी वजह से सोरेन को हार का सामना करना पड़ा. इसके अलावा झारखंड से कुछ ऐसे सांसद भी चुनकर राज्यसभा गए, जिनका इस प्रदेश से कभी कोई रिश्ता नाता नहीं रहा.
क्या है पंचम झारखंड विधानसभा की दलगत स्थिति
झारखंड विधानसभा के आधिकारिक वेबसाइट jharkhandvidhansabha.nic.in पर नजर डालें तो उसमें झामुमो के 29, बीजेपी के 25, कांग्रेस के 16, जेवीएम के 3, आजसू के 2, सीपीआईएमएल, एनसीपी और आरजेडी के एक-एक विधायक हैं, जबकि दो निर्दलीय हैं. एक मनोनीत विधायक समेत 82 सदस्यों वाली झारखंड विधानसभा में फिलहाल 1 सीट खाली है.