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झारखंड में लंबित हैं जमीन म्यूटेशन के हजारों मामले, लोग लगा रहे सरकारी दफ्तर का चक्कर

झारखंड में जमीन म्यूटेशन के लंबित केस की संख्या हजारों में है. भले ही हेमंत सरकार सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के तहत वाहवाही लूट रही हो. लेकिन सच्चाई यही है कि जमीन की दाखिल खारिज के हजारों केस सरकारी फाइलों में सड़ रही है. झारखंड में लंबे समय से जमीन म्यूटेशन के हजारों मामले लंबित हैं. इन्हीं आंकड़ों को खंगालती सरकारी सिस्टम से सवाल करती, ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

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झारखंड में म्यूटेशन

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Published : Jan 28, 2022, 7:31 PM IST

Updated : Jan 28, 2022, 8:59 PM IST

रांचीः झारखंड सरकार भले ही सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के जरिए वाहवाही लूटने में लगी हो मगर हकीकत यह है कि आज भी जमीन से जुड़े दाखिल खारिज के हजारों केस सरकारी फाइलों में दफन हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 27 जनवरी तक झारखंड में जमीन म्यूटेशन के 64 हजार 483 आवेदन लंबित हैं जबकि विभाग के पास अभी तक 10 लाख 93 हजार 664 आवेदन आए हैं. जिसमें से 54 हजार 0792 आवेदन को रिजेक्ट कर दिया गया है. प्रखंड स्तर पर लंबित दाखिल खारिज आवेदन को देखें तो सर्वाधिक केस धनबाद के गोविंदपुर प्रखंड में है जहां 3281 आवेदन लंबित है. वहीं दूसरे नंबर पर हजारीबाग सदर प्रखंड है जहां 2160 आवेदन लंबे समय से लंबित पड़ा हुआ है.

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हेमंत सरकार ने सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के जरिए लोगों की आम समस्या का निराकरण करने का अभियान चलाया, जिसमें आंशिक सफलता भी मिली. लेकिन अभी-भी जमीन से जुड़े हजारों मामले अंचल कार्यालय से लेकर जिला समाहरणालय में लंबित हैं. आंकड़े बताते हैं कि करीब 11 लाख आवेदन आए हैं और 2022 जनवरी के आखिरी सप्ताह तक पूरे झारखंड में जमीन म्यूटेशन के करीब 65 हजार मामले लंबित हैं. इसी तरह से राज्य के अन्य प्रखंडों की स्थिति है जहां लोग आवेदन तो कर रखा है लेकिन सरकारी बाबूओं के कारण यह यूं ही पड़ा हुआ है. लंबे समय से म्यूटेशन नहीं होने के कारण आम लोगों की परेशानी बढ़ी हुई है. लोग सीओ कार्यालय से लेकर अंचल कर्मचारी कार्यालय में दौड़ लगाते फिर रहे हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

90 दिन के अंदर जमीन म्यूटेशन का प्रावधानः राज्य में भले ही राइट टू सर्विस एक्ट लागू हो गया है. लेकिन सरकारी अधिकारियों की लापरवाही और मनमानी के कारण आम लोगों को दिया गया यह संवैधानिक अधिकार सफेद हाथी साबित हो रहा है. प्रावधान के अनुसार जब कोई जमीन या फ्लैट के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन दाखिल खारिज आवेदन देता है तो इसका निष्पादन 90 दिन में हो जाना है मगर यह सारी व्यवस्था झारखंड में धरी की धरी रह गयी है.

जमीन म्यूटेशन के जिलावार पेंडिंग मामले

अपनी जमीन का म्यूटेशन के लिए सरकारी दफ्तर का चक्कर काट रहे कांके के सरफराज अंसारी आपबीती सुनाते हुए कहा कि 06 महीने से वो कर्मचारी के पास ऑनलाइन आवेदन चढ़ाने के लिए दौड़ रहे हैं पता नहीं म्यूटेशन कब होगा या नहीं होगा. उन्होंने सरकारी सिस्टम पर भड़ास निकालते हुए कहा कि बगैर पैसा दिए जमीन का म्यूटेशन संभव नहीं है. सुकूरहुटू के रामचंद्र महतो अपनी पीड़ा बताते हुए कहते हैं कि सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के तहत लगाए गए फ्री कैंप में 2 घंटा लाइन में लगने के बाद ब्लॉक में जाने की बात कहकर हटा दिया गया. वो अपनी जमीन की दाखिल खारिज कराने के लिए डेढ़ वर्षों से दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं.

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मुख्यमंत्री तक पहुंची शिकायतः झारखंड में म्यूटेशन के लंबित केस की संख्या को देखते हुए सरकार भी चिंतित है. पिछले दिनों आम लोगों को हो रही परेशानी की शिकायत को लेकर कृषि मंत्री बादल पत्रलेख के नेतृत्व में कई विधायक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अवगत कराया है. मुख्यमंत्री ने इसका समाधान जल्द निकलने का आश्वासन दिया है. कृषि मंत्री बादल पत्रलेख भी मानते हैं कि राज्य के लोगों को जमीन की दाखिल खारिज कराने में परेशानी हो रही है. झारखंड में जमीन विवाद बढ़ते अपराध की सबसे बड़ी वजह है. ऐसे में इस विवाद को बढ़ाने में कहीं ना कहीं सरकारी सिस्टम भी दोषी है.

Last Updated : Jan 28, 2022, 8:59 PM IST

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