रांची: आरयू के घंटी आधारित शिक्षकों की हालत इन दिनों ठीक नहीं है. पिछले एक साल से मानदेय भुगतान नहीं होने के कारण इन शिक्षकों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है. बाल-बच्चों के भी पठन-पाठन बाधित हो रहे हैं, लेकिन फिर भी ये शिक्षक विश्वविद्यालय के विभागों में पठन-पाठन का काम बाधित नहीं किए हैं. ये शिक्षक आक्रोशित है और विरोध के लिए कटोरा लेकर चौक-चौराहों और विभागों में जाकर भिक्षाटन कर रहे हैं .
भिक्षाटन करने को विवश शिक्षक
इन शिक्षकों को करीब एक साल से इनका मानदेय नहीं दिया गया है. इसके कारण घर परिवार में भुखमरी की हालत है. बाबजूद इसके पठन-पाठन का काम इन शिक्षकों ने रोका नहीं है. दरअसल जनजातीय भाषा विभाग में पिछले कई सालों से लगातार अपनी सेवा दे रहे घंटी आधारित इन असिस्टेंट प्रोफेसरों का मानदेय अब तक रुका हुआ है और इसी वजह से यह लोग कटोरे लिए अपने विभाग के अलावा विश्वविद्यालय के अन्य विभागों में भीख मांग रहे हैं.
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एक साल से बंद है मानदेय
गौरतलब है कि शिक्षकों की कमी को देखते हुए आरयू की ओर से तमाम विभागों में घंटी आधारित असिस्टेंट प्रोफेसरों की बहाली की गई थी. शुरू में घंटी के आधार पर इन प्रोफेसरों को मानदेय दिया जाता रहा, लेकिन पिछले एक साल से इनका मानदेय बंद कर दिया गया है. आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से शिक्षकों में आक्रोश है और लगातार इस मामले को लेकर यूनिवर्सिटी के कुलपति रमेश कुमार पांडे के अलावे शिक्षा विभाग को भी अवगत कराया गया है, लेकिन इस ओर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया और अब ये शिक्षक आंदोलन करने को विवश है .
व्यस्ततम स्थानों पर भी भीख मांगने को होंगे विवश
शिक्षकों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन और विभाग को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर जल्द से जल्द उनका मानदेय भुगतान नहीं किया गया तो आने वाले समय में शिक्षक अल्बर्ट एक्का जैसे व्यस्ततम स्थान पर भी भीख मांगने को विवश होंगे और उनका आंदोलन जारी रहेगा.