रांची: जुगाड़ तंत्र से कई काम आसान हो जाते हैं. लेकिन हर जुगाड़ सुरक्षित हो जरूरी नहीं. कई बार जुगाड़ से बनाई गई चीजें खतरनाक भी होती हैं. कुछ ऐसी ही जुगाड़ टेक्नोलॉजी रांची की सड़कों पर देखने को मिलती है. हम बात कर रहे हैं जुगाड़ से चलने वाली ठेला गाड़ियों की. जो सड़क पर बेधड़क दौड़ रही है, लेकिन प्रशासन के लोगों की नजर उस पर नहीं पड़ रही. दरअसल जुगाड़ के ठेले गाड़ियों में पुरानी गाड़ियों के इंजन लगा दिए जाते हैं.
जिस मोटरसाइकिल और स्कूटर को कबाड़ में फेंक दिया जाते है. उनके इंजन को ठेले में लगाकर वजनदार माल ढोने का काम किया जाता है. जुगाड़ गाड़ी के चालक बताते हैं कि इस गाड़ी में पेपर और किसी भी तरह के रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि इसमें पुरानी गाड़ियों के इंजन लगाकर हम चलाने का काम करते हैं(jugaad vehicle in ranchi). ईटीवी भारत की टीम ने जब जुगाड़ गाड़ी के चालकों से बात की और उनसे पूछा कि आखिर दो व्यक्ति के वजन की क्षमता वाले इंजन से एक टन वजन कैसे ढोते हैं तो इस पर जुगाड़ गाड़ी के चालक कुछ भी कहने से बचते नजर आए.
वहीं जुगाड़ गाड़ी के कुछ चालकों ने कहा कि जिस तरह से आजकल वजन ढोने वाली गाड़ियों के दाम बढ़ रहे हैं, वैसे में हम जैसे गरीब लोगों के लिए लॉरी, गाड़ियां खरीदना मुश्किल है. इसीलिए हम लोग सस्ते में जुगाड़ गाड़ी बनाते हैं. जिससे हमें मेहनत भी कम लगता है और हमारा काम भी हो जाता है.