रांचीः रांची यूनिवर्सिटी सहित चार विश्वविद्यालयों में स्थायी कुलपति और प्रति कुलपति नहीं हैं. इन विश्वविद्यालयों में प्रभारी के भरोसे काम चल रहा है. हालांकि, राजभवन की ओर से 6 महीने पहले आवेदन आमंत्रित किया गया था. लेकिन अब तक नियुक्ति नहीं हो सकी है. स्थिति यह है कि लंबे समय से कुलपति और प्रति कुलपति नियुक्ति का मामला लटका हुआ है. वहीं, राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि एक से डेढ़ महीने के भीतर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी.
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विश्वविद्यालयों में स्थायी कुलपति नहीं होने से नियमित कार्य भी लंबित हो रहे हैं. प्रभारी कुलपति को झारखंड विश्वविद्यालय अधिनियम में निहित शक्तियां प्राप्त नहीं है. इससे प्रभारी कुलपति नीतिगत निर्णय नहीं ले सकते हैं. इसकी वजह है कि राजभवन की ओर से रोक लगाई गई है. स्थिति यह है कि बहुत जरूरी कार्य होने पर राजभवन से अनुमति लेने के बाद ही कार्य का निष्पादन किया जाता है.
कुलपति पद के लिए आवेदन देने वाले अभ्यर्थी अब सेवानिवृत्त हो रहे हैं. इन चारों विश्वविद्यालय के वीसी, प्रोवीसी के लिए कई आवेदन प्राप्त हैं. इसके बावजूद अब तक नियुक्ति नहीं हुई है. रांची विश्वविद्यालय, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय और जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी में कुलपति की नियुक्ति होनी है. वहीं, सिद्धो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय और बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय में प्रति कुलपति के पद पर नियुक्ति होनी है. अधिकारी सूत्रों ने बताया कि कुछ दिन पहले प्रक्रिया शुरू की गई थी. आवेदनों की स्क्रूटनी हो चुकी है और नियुक्ति के लिए राज्यपाल की ओर से सर्च कमेटी का गठन भी किया गया है.
वीसी नियुक्ति नहीं होने पर कॉलेज डेवलपमेंट काउंसिल की बैठक समय पर नहीं हो रही है. कॉलेजों का सौंदर्यीकरण और प्रयोगशाला की मेंटेनेंस सहित कई कार्य का प्रस्ताव राज्य सरकार को नहीं भेजा जा सका है. सिंडिकेट और सीनेट की बैठक भी आयोजित नहीं हो रही है. सिंडिकेट की बैठक राजभवन से अनुमति लेकर आयोजित की जा रही है. स्थिति यह है कि नीतिगत निर्णय लेने में प्रभारी कुलपति सक्षम नहीं है. हालांकि, एक समारोह के दौरान राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि इन पदों पर नियुक्ति को लेकर राजभवन सख्त है और शीघ्र ही चारों विश्वविद्यालयों को कुलपति और प्रति कुलपति मिल जाएंगे. इसको लेकर प्रक्रिया शुरू की जा रही है.