रांची:पशुपालन शब्द बिहार और झारखंड के लोगों के लिए ही नहीं पूरे देश के लिए चर्चा का विषय रहा है. इसकी वजह बना था 90 के दशक में हुआ बिहार का पशुपालन घोटाला. इस मामले में सीबीआई जांच के बाद बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद समेत कई लोगों को सजा हुई. इसके बावजूद यह विभाग अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. झारखंड के भी इस विभाग में खुलकर धांधली हो रही है. इसकी बदौलत कई डॉक्टर लंबे समय से एक ही जगह कुंडली मारकर जमे हुए हैं. ट्रांसफर की बात आती है तो विभाग की एक बिल्डिंग से दूसरे बिल्डिंग में अलग कोई पद लेकर शिफ्ट हो जाते हैं. पूरा खेल हाई प्रोफाइल फॉर्मूले पर चल रहा है. इसकी वजह से मेन स्ट्रीम में पोस्टिंग का इंतजार कर रहे पशु चिकित्सक मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं.
यही नहीं विभागीय सचिव अबु बकर सिद्दिकी भी तीन साल से ज्यादा समय से इसी विभाग में खूंटा गाड़े बैठे हुए हैं. 2019 में जब रघुवर सरकार की जगह हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकारी बनी तो 2003 बैच के आईएएस अबु बकर सिद्दिकी को अप्रैल 2020 में खान एवं भूतत्व विभाग के सचिव के अलावा कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया. इसके बाद कृषि मंत्री बादल पत्रलेख के साथ इनकी ऐसी बनी कि इन्हें 15 जुलाई 2020 को कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग की पूरी जिम्मेदारी देने के अलावा खान एवं भूतत्व विभाग के सचिव के साथ-साथ जेएसएमडीएस के चेयरमैन का भी अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया.
पशुपालन विभाग पर कुछ डॉक्टरों का कब्जा: पशुपालन विभाग में कुछ पशु चिकित्सकों की ऐसी पैठ है कि उनको कोई टस से मस नहीं करा पाता. इस कड़ी में पहला नाम है डॉ नरेंद्र कुमार झा का. जनाब रांची में RJD के पद पर विराजमान है. 1991 से रांची जिले में ही 32 साल से खूंटा गाड़कर बैठे हुए हैं. दूसरा नाम है डॉ असीम कुमार का. धनबाद में अवर प्रमंडल पशुपालन पदाधिकारी के पद पर हैं. 15 वर्षों से इसी जिले में जमे हुए हैं. डॉ अम्बोज कुमार भी कम नहीं हैं. ये तो जमशेदपुर में पिछले 10 वर्षों से टिके हुए हैं.
डॉ संजीव कुमार को जमशेदपुर में सेवा देते 10 साल गुजर चुके हैं. डॉ यदुवंश कुमार सिंह है कि जमशेदपुर में अपनी सेवाकाल के 28 वर्ष में से 25 साल से ज्यादा बीता चुके हैं. डॉ अनिता कुमारी पिछले 23 साल से रांची में जमी हुई हैं. पिछले 8 वर्षों से पिग ब्रिडिंग फार्म में पदस्थापित हैं. डॉ मुक्ति सिन्हा पर भी कृपा बरस रही है. करीब 20 वर्षों से रांची में चक्कर काट रहीं हैं. फिलहाल 8 वर्षों से पिग ब्रिडिंग फार्म में पदस्थापित हैं.
डॉ पप्पू कुमार का भी जलवा बरकरार है. कांके के पिग ब्रिडिंग फार्म में 9 वर्षों से काबिज हैं. डॉ बसंत कुमार की ऐसी सेटिंग है कि पिछले 9 वर्षों से क्षेत्रीय निदेशक कार्यालय में बैठे हुए हैं. डॉ शैलेंद्र कुमार तिवारी हैं कि रांची के क्षेत्रीय निदेशक कार्यालय में 16 वर्षों से और डॉ के.के.तिवारी 15 वर्षों से रांची के ही चक्कर काट रहे हैं. अब सवाल है कि इन पशुचिकित्सकों पर आखिर किसकी कृपा बरस रही है.