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भूख हड़ताल पर बैठे असिस्टेंट प्रोफेसर की हालत बिगड़ी, सरकार नहीं ले रही सुध

राजभवन के पास 18 अक्टूबर से संविदा पर नियुक्त घंटी आधारित असिस्टेंट प्रोफेसर अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं. उनकी मांग है कि उन्हें समान काम के लिए समान वेतन दिया जाए.

हड़ताल पर बैठे घंटी आधारित संविदा सहायक प्राध्यापक

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Published : Oct 23, 2019, 4:50 PM IST

रांची:राजभवन के पास 18 अक्टूबर से भूख हड़ताल पर बैठे संविदा पर नियुक्त घंटी आधारित असिस्टेंट प्रोफेसर की हालत बिगड़ने लगी है. 3 हड़ताली असिस्टेंट प्रोफेसर की हालत ज्यादा खराब होने की वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया जा चुका है. वहीं कुछ की हालत अभी भी खराब चल रही है. हैरानी की बात यह है कि इनकी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल को खत्म करवाने के लिए सरकार की ओर से अब तक कोई पहल नहीं की गई है.

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क्यों कर रहे हैं आंदोलन
राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों और अंगीभूत महाविद्यालय में कार्यरत लगभग एक हजार घंटी आधारित संविदा असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति यूजीसी नियमावली के तहत की गई थी. इन शिक्षकों को नियमित करने की मांग कई बार शिक्षा विभाग में की गई है. लेकिन अब तक इन्हें नियमित नहीं किया गया है. इन्हें पढ़ाई के लिए दिए गए समय के आधार पर वेतन मिलता है. इन प्रोफेसरों का तर्क है कि इनसे अन्य सरकारी शिक्षकों से ज्यादा काम लिया जाता है. वहीं वेतन घंटी आधारित दिया जा रहा है. इतना ही नहीं इन्हें नियमित शिक्षकों की तरह ही समय देना पड़ता है. ऐसे में असिस्टेंट प्रोफेसर समान काम के लिए समान वेतन की मांग को लेकर राजभवन के समक्ष आमरण अनशन पर बैठे हैं.

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राज्य सरकार है संवेदनहीन
सरकार की ओर से कोई पहल नहीं किए जाने के कारण घंटी आधारित असिस्टेंट प्रोफेसर का कहना है कि राज्य सरकार संवेदनहीन हो गई है. उनका कहना है कि वे अपनी मांग सरकार को बता चुके हैं लेकिन सरकार की तरफ से आश्वासन मिलना तो दूर सरकार ने बात करने की कोई कोशिश भी नहीं की है.

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