रांची: डुमरी विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव की घोषणा से पहले ही चुनावी डंका बजने लगा है. सियासी पारा चढ़ने लगा है. विपक्ष की बढ़ी गतिविधि के बीच झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी चुनावी जंग का आगाज कर दिया है. इस उपचुनाव में सीधे तौर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और भाजपा के नवमनोतीत प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. डुमरी का चुनावी माहौल इमोशन और करप्शन शब्द के ईर्द गिर्द घूम रहा है.
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सीएम ने गिनाई उपलब्धि और खोली विकास की झोली:चुनावी तारीख के ऐलान से पहले सीएम ने डुमरी विधानसभा क्षेत्र के नावाडीह में मौजूद बिनोद बिहारी महतो स्टेडियम में योजनाओं की झोली खोल दी. उन्होंने 17097.82 लाख की अलग-अलग योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन कर बता दिया कि यह सीट उनके लिए कितने मायने रखती है. यही नहीं उन्होंने लाभुकों के बीच 5,636.94 लाख की परिसंपत्ति का वितरण कर चुनावी माहौल को गरमा दिया है.
अपने 47 मिनट के संबोधन में सीएम ने भरोसा दिलाया कि सरकार आपके साथ खड़ी है. उन्होंने सावित्री बाई फुले योजना, मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना, सर्वजन पेंशन योजना, मुख्यमंत्री पशुधन योजना, बिरसा हरित ग्राम जैसी योजनाओं का जिक्र किया. साथ ही निजी क्षेत्रों में स्थानीय को 75 प्रतिशत आरक्षण के लिए उठाए गये कदम की जानकारी दी. उन्होंने सौ यूनिट तक फ्री बिजली देने, छात्रों को विदेश में पढ़ाई का मौका देने और उच्च शिक्षा के लिए कम ब्याज पर ऋण देने के लिए किए जा रहे कार्यों को गिनाया.
जगरनाथ महतो को अमर रखने का जिम्मा आप पर- सीएम:मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि दो वर्षों तक कोरोना से संघर्ष के बाद पिछले एक-डेढ़ साल में जो काम किए गये हैं, उसका अनुभव आप सभी कर रहे होंगे. लेकिन अपने संबोधन के अंतिम वाक्य में जता दिया कि डुमरी सीट उनके लिए कितनी जरूरी है. उन्होंने कहा कि जगरनाथ महतो को अमर रखने का जिम्मा आप पर है. उनके इस कथन के मायने निकाले जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि जगरनाथ दा को बचाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ा लेकिन वे जनता के बीच जाए बगैर नहीं रह सकते थे. नया जीवन मिलने के बावजूद सामान्य जीवन जीने की आदत नहीं छोड़ पाए. लेकिन विधि का विधान हम टाल नहीं सकते.
1932 की पैरवी के साथ भाजपा-आजसू पर निशाना:अपने संबोधन में विपक्ष पर निशाना साधते हुए सीएम ने 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता के मसले को जोरशोर से उठाया. उन्होंने कहा कि 1932 के खतियान केआधार पर कानून बनाया लेकिन आजसू और बीजेपी के लोगों ने कोर्ट में जाकर अड़चन डाल दिया. उन्होंने 60-40 नाय चलतो वाले नारे का जिक्र किए बगैर कहा कि एक नया नारा देकर लोगों को भड़काया जा रहा है. उन्होंने कहा कि 1932 हमारा मुद्दा था और मुद्दा रहेगा. हम हारे नहीं हैं बल्कि लंबी छलांग के लिए दो कदम पीछे आए हैं. उन्होंने कहा कि इन खुराफातियों ने 20 वर्षों तक राज्य के विकास की गति को रोके रखा.
सीएम ने दिखाया भविष्य का पिक्चर:सीएम ने सरकारी मंच से लोगों को भविष्य का पिक्चर दिखाया. उन्होंने कहा कि 15 हजार किमी ग्रामीण सड़कें बनेंगी. कोई भी गांव बिना सड़क का नहीं रहेगा. उन्होंने कहा कि पिछले साल सुखाड़ झेल चुके हैं. इस बार भी वही नौबत दिख रही है. इसको ध्यान में रखते हुए सिंचाई योजनाओं पर काम चल रहा है. आने वाले 7-8 वर्षों में हर खेत में पानी पहुंचने लगेगा. सीएम ने भरोसा दिलाया कि आप दो कदम चलेंगे तो सरकार आपके साथ चार कदम चलेगी.
जगरनाथ बाबू के अधूरा काम पूरा होतई- बेबी देवी:इस कार्यक्रम के केंद्र बिंदु में बेबी देवी रहीं. संभवत: उन्होंने पहली बार दस हजार से ज्यादा की संख्या में आए लोगों को संबोधित किया. उनका भाषण महज एक वाक्य का था. जोहार के साथ उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि जगरनाथ बाबू के अधूरा काम पूरा होतई. इतना कहकर जब वह अपनी कुर्सी पर बैठने आई तो सीएम उनकी हौसला अफजाई करते नजर आए.
झामुमो को इमोशन का सहारा:यह फॉर्मूला मधुपुर में भी आजमाया जा चुका है. दिग्गज झामुमो नेता हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद उनके पुत्र हफीजुल हसन को मंत्री बना दिया गया था. जिसका पार्टी को फायदा भी हुआ. लेकिन सवाल है कि क्या डुमरी में भी वही फायदा मिल सकता है. जानकारों का कहना है कि हाजी हुसैन के पुत्र काफी पहले से राजनीति कर रहे थे. उनकी क्षेत्र में अच्छी पकड़ थी. लेकिन बेबी देवी के लिए यह सब बिल्कुल नया है. वह अचानक घर की चहारदीवारी से बाहर निकलीं हैं. पार्टी के आंतरिक खींचतान को समझना और सुलझाना आसान काम नहीं होता.
काफी पहले शुरू हो चुका था इमोशन का कैल्कुलेशन:दरअसल, 6 अप्रैल को जगरनाथ महतो के निधन की खबर चेन्नई से आई थी. इस खबर के आते ही पूरे झारखंड में शोक की लहर दौड़ गई थी. एक युवा कद्दावर नेता के असमय निधन पर सरकार ने दो दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की थी. सभी सरकारी कार्यालयों में अवकाश घोषित कर दिया गया था. साथ ही 6 अप्रैल को ही प्रोजेक्ट भवन में शाम 4 बजे प्रस्तावित कैबिनेट की बैठक भी स्थगित कर दी गई थी. मुख्यमंत्री खुद दिवंगत नेता के बोकारो स्थित अलारगो अवास पर पीड़ित परिवार को ढांढस बंधाने पहुंचे थे. यही नहीं जगरनाथ महतो के निधन के तीन माह पूरा होने से तीन दिन पहले ही उनकी पत्नी बेबी देवी को 11वें मंत्री के रूप में शपथ दिलायी गई थी. उसी वक्त पार्टी ने साफ कर दिया था कि वह बेबी देवी को आगे करके ही चुनाव लड़ेगी.
करप्शन को भाजपा ने बनाया है हथियार:2019 के विधानसभा चुनाव के बाद दुमका, मधुपुर, बेरमो, मांडर और रामगढ़ में उपचुनाव हो चुके हैं. सिर्फ रामगढ़ को छोड़ दें तो सभी सीटों को बचाने में सत्ताधारी दल सफल रहे हैं. लेकिन डुमरी उपचुनाव के वक्त की तस्वीर अलग है. झारखंड में चल रही ईडी की कार्रवाई से हड़कंप मचा हुआ है. दो आईएएस अधिकारी समेत कई पत्थर कारोबारी और ब्रोकर सलाखों के पीछे हैं. ऊपर से संथाली नेता बाबूलाल मरांडी को कमान देकर पार्टी ने आदिवासी हित का दाव खेल दिया है. गैर आरक्षित धनवार सीट जीतने वाले बाबूलाल मरांडी चुनाव को डुमरी इलाके की अच्छी समझ है. झामुमो के सूत्र भी बताते हैं कि इस उपचुनाव को हल्के में नहीं लिया जा सकता. दूसरी तरफ बाबूलाल मरांडी करप्शन के हवाले से सरकार को खासकर सोरेन परिवार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. लेकिन सवाल है कि क्या यह फॉर्मूला भाजपा के लिए काम करेगा. क्या इमोशन पर करप्शन भारी पड़ेगा. इसका जवाब आने वाले समय में मिलेगा.