रांचीः तेजस्विनी योजना पर ग्रहण लग रहा है. इसे लेकर झारखंड राज्य तेजस्विनी कर्मचारी संघ ने सरकार के उदासीन रवैया पर नाराजगी जताया है. संघ ने मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने का निर्णय लिया. वर्ल्ड बैंक की सहायता से चल रहे इस परियोजना से 10039 कर्मचारी जुड़े हुए हैं, जो राज्य में 14 से 24 वर्ष के किशोरियों एवं युवतियों को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सशक्त बनाने का काम करते आ रहे हैं. इन किशोरियों को स्वरोजगार के साथ-साथ रोजगार भी मुहैया कराया जाता रहा है एवं जो किशोरी वर्ग 8 एवं 10 में ड्रॉपआउट हो चुके हैं, उन्हें पढ़ाने की व्यवस्था शिक्षा सेतु के माध्यम से इस परियोजना के तहत की जाती है.
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2017 से चल रहा है राज्य के 17 जिलों में तेजस्विनी प्रोजेक्टःझारखंड देश का एकमात्र राज्य है जहां वर्ल्ड बैंक की सहायता से तेजस्विनी प्रोजेक्ट राज्य सरकार के द्वारा चलाए जा रहा है. महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के द्वारा संचालित इस प्रोजेक्ट पर राज्य सरकार भी खर्च करती है. तेजस्विनी प्रोजेक्ट के जरिए राज्य में महिला तस्करी रोकने, महिला भ्रूण हत्या रोकने, डायन प्रथा, दहेज प्रथा रोकने एवं महिलाओं को शिक्षित बनाने का काम किया जाता रहा है.
मगर हाल के दिनों में सरकार के द्वारा इस योजना पर आ रहे खर्च को देखते हुए बंद करने की तैयारी की गई है. जिससे नाराज तेजस्विनी कर्मचारियों ने सरकार के विरोध में आंदोलन छेड़ने की घोषणा की है. संघ के मुख्य संरक्षक सुनील कुमार शाह के नेतृत्व में झारखंड राज्य तेजस्विनी कर्मचारी संघ की हुई इस बैठक में संघ पुर्नगठन की भी घोषणा की गई. जिसमें सर्वसम्मति से प्रदेश अध्यक्ष आशीष विजय के नेतृत्व में आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया गया. आंदोलन की घोषणा करते हुए संघ के मुख्य संरक्षक सुनील कुमार शाह और प्रदेश अध्यक्ष आशीष विजय ने कहा कि राज्य सरकार के द्वारा बार-बार इस परियोजना को बंद करने की धमकी दी जाती रही है. इससे कर्मचारी हतोत्साहित हो रहे हैं. इस परियोजना से अब तक 11 लाख किशोरियों को लाभ पहुंचा है जो सुदूरवर्ती झारखंड के इलाकों में स्वरोजगार कर रही हैं.
इसके अलावा इस परियोजना से जुड़े महिला कर्मचारियों के द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए बेहतरीन कार्य किए गए हैं. इसके बावजूद सरकार एक तरफ जहां महिला सशक्तिकरण की बात करती है, वहीं दूसरी ओर इस परियोजना के माध्यम से होने वाले सशक्तिकरण के कार्य को बाधित करने की कोशिश की जा रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों को स्थाई करने का भरोसा दिया था, मगर जिस तरह से विभागीय मंत्री को बताया जा रहा है उससे यह लग रहा है कि यह परियोजना जल्दी बंद हो जाएगा. ऐसे में हजारों तेजस्विनी कर्मचारी चुप नहीं बैठेंगे और सरकार के विरोध में जल्दी आंदोलन छेड़ने का काम किया जाएगा.