झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

झारखंड में लगातार घट रहे मलेरिया के केस, 2030 तक उन्मूलन का लक्ष्य - Jharkhand News

झारखंड देश के 5 राज्यों में शामिल हैं जहां सबसे अधिक मलेरिया के केस जर्ज किए जाते रहे हैं. लेकिन, पिछले कुछ सालों में के झारखंड में मलेरिया के मामलों में 55 प्रतिशत तक कमी आई है. पिछले कई सालों से मलेरिया केस में कमी को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने उम्मीद जताई है कि राज्य में 2030 तक मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य पूरा हो सकता है.

Malaria in Jharkhand
Malaria in Jharkhand

By

Published : Jun 30, 2022, 8:20 AM IST

Updated : Jun 30, 2022, 9:06 AM IST

रांची: झारखंड देश के उन पांच राज्यों में एक हैं, जहां मलेरिया के सबसे अधिक मामले दर्ज किए जाते रहे हैं. झारखंड के अलावा ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और मेघालय में वेक्टर जनित इस बीमारी के अत्यधिक मामले दर्ज किए जाते हैं. 2019 में देश भर में मलेरिया के कुल मामलों में 45.47 प्रतिशत मामले इन्हीं राज्यों में दर्ज किए गए थे. भौगोलिक स्थिति और जंगल झाड़ से भरे प्रदेश में तमाम बाधाओं के बावजूद झारखंड ने मलेरिया मामले को कम करने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है और वर्ष 2017 से 2021 के बीच राज्य में मलेरिया के मामलों की संख्या साल-दर-साल कम हुई है.

राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में तीसरे स्थान पर रहा झारखंड:विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization WHO) की विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2020 के आधार पर झारखंड मलेरिया उन्मूलन के राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में तीसरे स्थान पर रहा है. राज्य में मलेरिया के सालाना आंकड़ों की बात करें तो इसमें लगातार कमी दर्ज की गयी है. 2017 में झारखंड में 94,114 मामले मलेरिया के थे, जबकि 2018 में 57,095 केस दर्ज किए गए, यह 39 प्रतिशत की कमी थी. फिर 2019 में 37,133 मामले दर्ज हुए और 35 प्रतिशत की कमी आयी. 2020 में 55 प्रतिशत की कमी के साथ 16,653 मामले दर्ज किए गए. जबकि साल 2021 में 2019 की तुलना में 19 प्रतिशत कम मामले दर्ज किए गए और संख्या घट कर 13,426 हो गयी.

झारखंड में 2030 तक मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य:झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने बताया कि आदिवासी क्षेत्र में भी इस बीमारी को लेकर लोगों में जागरुकता फैलाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है, जिसका परिणाम है कि अब यहां पहले की तुलना में मलेरिया के मामलों में काफी कमी दिखाई दे रही है. आदिवासी परिवारों के लोग भी बड़ी संख्या में इस बीमारी की वजह व खतरे को समझने लगे हैं. इसके साथ ही, झारखंड सरकार की मलेरिया उन्मूलन रणनीतियों के तहत कई प्रयास आदिवासी और अन्य क्षेत्रों में भी किए जाते हैं, जैसे बड़े पैमाने पर बुखार का सर्वेक्षण, एलएलआईएन का वितरण, बीमारी फैलने वाले क्षेत्रों में मच्छरों के पनपने के स्थानों पर कीटनाशकों का छिड़काव. राज्य ने मलेरिया के कारण होने वाली कम मृत्यु दर को बनाए रखा है और वर्ष 2017-2021 के दौरान मलेरिया के कारण मौतों की संख्या शून्य से 0.04 फीसदी के बीच रही है. राज्य मलेरिया उन्मूलन की राष्ट्रीय रणनीतियों के अनुरूप काम कर रहा है और यह 2027 तक देश में शून्य स्वदेशी संचरण और 2030 तक उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा.

झारखंड में मलेरिया नियंत्रण होने का श्रेय डबल्यूएचओ को: गांव के लोगों में इस बीमारी को लेकर जागरूकता का अभाव रहा है, लेकिन अब लोग इसको लेकर तेजी से जागरूक हो रहे हैं. अगर लोगों को वेक्टर जनित बीमारियों के प्रति समझ नहीं होती है तो इसके मामले बढ़ने का खतरा बना रहता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन, केंद्र सरकार व अन्य संबंधित एजेंसियों के साथ बेहतर तालमेल के जरिए अब राज्य ने इस बीमारी पर काफी हद तक नियंत्रण कर लिया है. झारखंड में मलेरिया के मामलों को कम करने का श्रेय विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा शुरू किए गए हाई बर्डन हाई इम्पैक्ट प्रोग्राम को ठीक प्रकार से लागू करने और इस पर नियमित निगरानी को जाता है, जिसे केंद्र सरकार की ओर से मलेरिया उन्मूलन के लिए पेश की गई राष्ट्रीय रूपरेखा के तहत अंजाम दिया जा रहा है. इस प्रोग्राम की शुरूआत साल 2018 में भारत सहित 11 ऐसे देशों में की गई, जहां मलेरिया का बोझ बहुत अधिक था. यह प्रोग्राम रोग के बोझ को कम करने में कारगर साबित हुआ है.


अन्तरक्षेत्रीय दृष्टिकोण बेहद महत्वपूर्ण:अंतरक्षेत्रीय दृष्टिकोण के चलते राज्य में मलेरिया के मामलों में कमी लाने में मदद मिली है. इसके साथ ही कई समाधानों को अंजाम दिया गया जैसे एलएलआईएन छोटे जल निकायों में मच्छर के लार्वा खाने वाली मछलियां पालना, आशा कर्मचारियों को मलेरिया के निदान एवं देखभाल में प्रशिक्षण देना. मलेरिया उन्मूलन के प्रयासों में अन्तरक्षेत्रीय दृष्टिकोण बेहद महत्वपूर्ण रहा है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं अन्य प्रोग्रामों के तहत विभिन्न अवयवों की समेकित सर्विस डिलीवरी मलेरिया के उन्मूलन में महत्वपूर्ण है. कुछ मुख्य क्षेत्र जहां सहयोगी संस्थाएं और विभाग एक साथ काम कर बड़े प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं, उनमें सामुदायिक प्रयास, सेवाओं को आगे बढ़ाने के लिए सरकारी प्रोग्रामों की ज़िम्मेदारी बढ़ना, बेहतर स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य अनुकूल व्यवहार में सुधार, पर्यावरण संरक्षण, सुरक्षित जल एवं वेक्टर नियंत्रण को सुनिश्चित करना शामिल शामिल है.


स्वास्थ्य मंत्री ने किया आग्रह: स्वास्थ्य मंत्री ने झारखंड वासियों से आग्रह किया है कि मलेरिया को लेकर जागरुकता कार्यक्रमों व सरकारी रोकथाम उपायों का लाभ उठाएं. वे इस बीमारी व इसकी वजहों को जानें. घरों और आसपास में सफाई रखें. ऐसे जल जमाव या दूषित जगह न रहने दें जिससे मच्छरों के पनपने का खतरा हो. बुखार हो तो, तुरंत नजदीकी अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें. झाड़-फूंक के चक्कर में न रहें और वैज्ञानिक तरीका अपनायें. हम सबको मिल कर इस बीमारी को अपने राज्य से पूरी तरह शीघ्र ही समाप्त करना है.

Last Updated : Jun 30, 2022, 9:06 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details