रांचीःभाजपा के विरोध के बावजूद सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) की अध्यक्षता में नवगठित झारखंड ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (Jharkhand Tribal Advisory Council) की 23वीं बैठक आयोजित की गई. कोरोना संक्रमण को देखते हुए वर्चुअल बैठक (Virtual Meeting) हुई. बैठक में सदस्यों की ओर से स्थानीयता को परिभाषित करने की मांग की गई. सदस्यों ने कहा कि स्थानीयता को परिभाषित किये बिना नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकलता है, तो विवाद बढ़ेगा.
बैठक को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल को पुनः सक्रिय करने को लेकर वर्चुअल प्लेटफार्म पर बैठक का आयोजन किया गया है. अगली बैठक में सभी सदस्यों की सहमति से कार्य योजना तैयार की जाएगी. उन्होंने कहा कि राज्य का विकास झारखंड ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल के माध्यम से किया जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य में टीएसी की नियमावली 20 वर्ष तक नहीं बनी थी. वर्तमान सरकार ने नियमावली बनाई और विधिवत रूप से सभी सदस्यों का मनोनयन किया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि अलग-अलग क्षेत्रों का विकास करना होगा, तभी राज्य अग्रणी राज्यों की श्रेणी में खड़ा हो सकेगा. उन्होंने कहा कि राज्य को अलग पहचान दिलाने के लिए आदिवासियों की भूमिका तय करनी होगी. जनजातीय समुदाय के लिए बेहतर कार्ययोजना तैयार करने में काउंसिल मददगार साबित होगा. झारखंड के 27 प्रतिशत वाले आदिवासी समुदाय के लिए सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और राजनीतिक पहलुओं को सुदृढ करना होगा.
शिक्षा और रोजगार पर विशेष ध्यान देने की जरूरत
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों को शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में आगे बढ़ाने की जरूरत है. बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है. उन्होंने कहा कि आदिवासियों के अस्तित्व में उनकी जमीन अहम है. बदलते समय के अनुरूप कार्य करने की आवश्यकता है. आदिवासियों की जनसंख्या में आ रही कमी को रोकना होगा. इसके लिए ठोस उपाय की आवश्यकता है.
बंधु तिर्की ने जनजातीय की समस्या से कराया अवगत
झारखंड टीएससी की बैठक में टीएसी सदस्य विधायक बंधु तिर्की ने अपनी बात रखते हुए कहा की पूर्ववर्ती सरकार में 22वीं बैठक 3 अगस्त 2018 को हुई थी, जिस पर कार्यवाही की संपुष्टि बिना समीक्षा के नहीं की जाए. बंधु तिर्की ने कहा सीएनटी-एसपीटी एक्ट में थाना की बाध्यता खत्म होनी चाहिए, अन्यथा अपने ही राज्य में आदिवासी प्रवासी बनकर रहने को मजबूर होंगे. उन्होंने कहा कि आदिवासियों को हर हाल में शहरों में घर बनाने के लिए जमीन की सुविधा मिलनी चाहिए.
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