रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े खनन पट्टा और शेल कंपनी मामले पर सुप्रीम कोर्ट में दायर स्पेशल लीव पिटिशन (special leave petition) पर सोमवार को फैसला आ सकता है. इससे पहले अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद सुनवाई की प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद फैसले को सुरक्षित (CM hemant soren mining pil case) रख लिया था. जिसका फैसला सोमवार को सुनाया (supreme court verdict in CM hemant soren) जा सकता है.
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इससे पूर्व में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धुलिया की पीठ में हेमंत सोरेन से जुड़े खनन पट्टा और शेल कंपनी के मामले पर सुनवाई हुई थी. सरकार की तरफ से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिका पर सवाल उठाते हुए कहा था कि झारखंड हाईकोर्ट में शिव शंकर शर्मा की तरफ से दो जनहित याचिका दायर की गयी हैं, जो भयादोहन के लिए किया गया है. याचिका संख्या 4290 ऑफ 2021 और 727 ऑफ 2022 मामला भी कुल मिला कर इसी तरह का है. यह पीआइएल एक्सटॉर्शन के लिए हुआ है.
वहीं, शिव शंकर शर्मा के अधिवक्ता राजीव कुमार को कोलकाता पुलिस की तरफ से 50 लाख रुपये नगद के साथ गिरफ्तार किये जाने का हवाला भी कपिल सिब्बल ने दिया था. उन्होंने कई और जानकारियां भी कोर्ट को दी थी. बाद में कोर्ट ने कहा कि यह मामला गंभीर है. राज्य सरकार के द्वारा जनहित याचिका से जुड़े तमाम दस्तावेज अदालत में पेश किए गए. पीठ में याचिका दर्ज होने के पूर्व विभाग एवं संबंधित पार्टी को दी जाने वाली रीप्रेजेंटेशन कॉपी की भी दी गई. इस अवसर पर ईडी एवं भारत सरकार की ओर से सोलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया मौजूद रहे थे. इस मामले में सोमवार को फैसला आ सकता है.
झारखंड हाई कोर्ट ने माना है कि याचिका सुनवाई योग्यःशिवशंकर शर्मा ने सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ गलत तरीके से खनन लीज आवंटित कराने और उनके करीबियों द्वारा शेल कंपनी में निवेश का आरोप लगाते हुए झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की. झारखंड सरकार और हेमंत सोरेन ने याचिका सुनवाई योग्य नहीं होने का मुद्दा उठाया और याचिका दाखिल की. लेकिन हाई कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए दोनों याचिकाओं को सुनवाई के योग्य माना था. इसके बाद में सरकार और हेमंत सोरेन ने हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.