रांचीः हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति 2016 मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. सोमवार 14 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने प्रार्थी सोनी कुमारी द्वारा दाखिल अवमानना वाद पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा (Supreme Court sent notice to Jharkhand government) है. अब इसकी अगली सुनवाई के लिए 28 नवंबर की तिथि निर्धारित की है.
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सोनी कुमारी की ओर से अवमानना वाद दाखिल करने वाले अधिवक्ता ललित कुमार ने बताया कि कंटेम्प्ट के मेरिट पर सोमवार को सुनवाई हुई. इस दौरान राज्य सरकार की ओर से कोई पक्ष नहीं रखा गया है. कोर्ट ने नोटिस किया है, इसके बाद अब राज्य सरकार इसपर जवाब देगी. उन्होंने कहा कि तब तक के लिए कोर्ट ने नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. कंटेम्प्ट के माध्यम से सोनी कुमारी द्वारा न्यायालय को यह जानकारी देने का प्रयास किया गया है कि 2 अगस्त को दिये गए सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर का झारखंड कर्मचारी चयन आयोग और राज्य सरकार द्वारा किस तरह से अवहेलना किया जा रहा है. प्रार्थी सोनी कुमारी ने झारखंड के मुख्य सचिव, शिक्षा सचिव, कार्मिक सचिव और जेएसएससी सचिव के खिलाफ अवमानना वाद दाखिल किया है. प्रार्थी का मानना है कि जेएसएससी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार रिजल्ट प्रकाशित नहीं कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने इस परीक्षा के लिए प्रकाशित अंतिम कट ऑफ को आधार मानते हुए स्टेट लेवल रिजल्ट प्रकाशित कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था मगर जेएसएससी ने इसे नजरअंदाज कर मनमाने ढंग से रिजल्ट जारी करना शुरू किया है.
फिर अधर में नियुक्ति प्रक्रियाः सुप्रीम कोर्ट में अवमानना वाद पर सुनवाई के बाद एक बार फिर हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया लटक गई है. लंबी कानूनी लड़ाई की वजह से नियुक्ति प्रक्रिया पहले से ही बाधित थी. सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद जेएसएससी ने हाल ही में कॉउसिलिंग के लिए लिस्ट जारी करना शुरू किया था. जिसके बाद मेरिट लिस्ट को लेकर विवाद गहराने लगा और एक फिर मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है.
क्या है मामलाः 2016 की नियोजन नीति के तहत झारखंड के 13 अनुसूचित जिलों के सभी तृतीय व चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किया गया था. वहीं गैर अनुसूचित जिले में बाहरी अभ्यर्थियों को भी आवेदन करने की छूट दी गई थी. इसी नीति के तहत वर्ष 2016 में अनुसूचित जिलों में 8 हजार 423 और गैर अनुसूचित जिलों में 9 हजार 149 पदों पर हाई स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई थी. 13 अनुसूचित जिले के सभी तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किए जाने के विरोध में झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. हाई कोर्ट की लार्जर बेंच ने 21 सितंबर 2020 को राज्य सरकार की नियोजन नीति और हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति विज्ञापन को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए नियोजन नीति को असंवैधानिक बताते हुए उसे निरस्त कर दिया था. हाई कोर्ट ने 13 जिलों में नियुक्त शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द करते हुए गैर अनुसूचित जिलों की नियुक्ति को बरकरार रखा था. हाई कोर्ट के लार्जर बेंच के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थी सत्यजीत कुमार एवं अन्य की ओर से एसएलपी दायर की गई. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त को इस मामले में फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार और जेएसएससी को प्रकाशित अंतिम मेधा सूची को आधार मानकर राज्यस्तरीय मेरिट लिस्ट जारी कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने को कहा था.