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6 महीने से मंदिर नहीं पहुंच रहे श्रद्धालु, धार्मिक कार्य से जुड़े लोगों के बीच भुखमरी की समस्या उत्पन्न - रांची में धार्मिक कार्य से जुड़े लोगों के बीच भुखमरी की समस्या

कोरोना महामारी के कारण पिछले 6 महीनों से राजधानी के सभी मंदिरों में पूजा-अर्चना बंद है. भक्त-श्रद्धालु मंदिरों तक नहीं पहुंच रहे हैं. इस वजह से प्रदेश के विभिन्न मंदिरों के अलावा धार्मिक आयोजन कार्य से जुड़े लोग पूरी तरह बेरोजगार हो गए हैं. उनकी आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हो गई है.

6 महीने से मंदिर नहीं पहुंच रहे श्रद्धालु
Starvation problem arose among people associated with religious work in Ranchi

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Published : Sep 21, 2020, 4:04 PM IST

रांची: कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण मंदिरों में जहां पूजा-अर्चना बंद है. भक्त-श्रद्धालु मंदिरों तक नहीं पहुंच रहे हैं. घर में भी धार्मिक अनुष्ठान कराने में लोग फिलहाल परहेज कर रहे हैं. इस कारण प्रदेश के विभिन्न मंदिरों के अलावा धार्मिक आयोजन कार्य से जुड़े पंडित पूरी तरह बेरोजगार हो गए हैं. उनकी आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हो गई है.

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6 महीने से पूजा स्थल मंदिर पड़ा है सुना

पिछले 6 महीने से तमाम पूजा स्थल सुने पड़े हैं. भगवान के दर्शन करने भी लोग मंदिरों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. लॉकडाउन के कारण और सरकारी निर्देश के तहत तमाम मंदिरों और पूजा-स्थलों में लोगों की भीड़ न के बराबर है और मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं उमड़ने से सबसे ज्यादा परेशानी मंदिर के पुजारी और धार्मिक आयोजन कार्य से जुड़े पंडितों को हो रही है. सूबे में ज्यादातर पुजारी वर्ग वैसे हैं, जो दान-दक्षिणा के भरोसे ही आजीविका चलाते हैं और लॉकडाउन के कारण महीनों में इनकी आमदनी न के बराबर है. ऐसे में इन्हें दान-दक्षिणा नहीं मिल रहा है और इनकी आर्थिक स्थिति दिन- प्रतिदिन दयनीय होती चली जा रही है.

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श्रद्धालुओं ने बनाई मंदिरों से दूरी, पुजारियों के लिए बंद आय के साधन.

कोरोना महामारी के कारण मंदिरों में नियमित पूजा-अर्चना में भी परेशानी है. वायरस के डर से लोग मंदिरों से दूरी बना चुके है, जिससे पुजारियों के सामने भुखमरी की समस्या शुरू हो चुकि है. छोटे मंदिरों की दानपेटी कब की खाली हो गई है. इस स्थिति में पुजारियों के लिए पूजन सामग्री जुटाना और खुद का पेट भरना भी किसी चुनौती से कम नहीं है. विश्व ब्राह्मण संघ के आंकड़ों के अनुसार, लगभग दो लाख पुजारी और उनके परिवार इस महामारी के कारण प्रभावित हुए हैं. पुजारियों का कहना है कि लॉकडाउन के हुए 6 महीने बीत चुके हैं और अब तक मंदिरों के पट नहीं खुले हैं. ऐसे में राज्य सरकार को मंदिरों के लिए विशेष प्रबंध करना होगा, ताकि भुखमरी की समस्या से बचा जा सके.


सरकार को देना होगा ध्यान

लॉकडाउन के दौरान मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए विभिन्न सामाजिक संस्थाओं की ओर से फंड मुहैया कराया गया था. पुजारियों के लिए भोजन का भी प्रबंध करवाया जा रहा था, लेकिन जैसे ही अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई. एक बार फिर इनके समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. इसके बावजूद मंदिरों का पट खुलने को लेकर ऑनलॉक के तहत सरकार की ओर से कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किया गया है. एक आंकड़ा के मुताबिक, कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन ने जिले के 2 लाख से अधिक पुजारियों को बेरोजगार कर दिया है. इन पुजारियों के पास पूजा कराने के अलावा आय का कोई दूसरा साधन भी नहीं है. सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरुरत है, ताकि इनकी समस्या को कम किया जा सके.

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