रांची:झारखंड में ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की जमकर कालाबाजारी हो रही है. हर दिन यह खबर सामने आ रही है कि ऑक्सीजन और कई जरूरी दवाइयों को लोग मनमाने रेट पर बेचे जा रहे हैं. ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए विशेष टीम का गठन किया गया है. जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी को लेकर झारखंड हाई कोर्ट भी लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है. गुरुवार को कोर्ट ने रांची एसएसपी को यह आदेश दिया कि सादे लिबास में सभी अस्पतालों में पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाए ताकि दवाओं की कालाबाजारी पर रोक लगाई जा सके.
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राजधानी में ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए भटकते लोगों से मनमाना पैसा वसूला जा रहा है. जीवनरक्षक दवाइयों की बोली लगाई जा रही है. बेड के लिए भी पैसे की डिमांड की जा रही है. कोरोना संक्रमण से हो रही मौत के बाद परिजनों से अंतिम संस्कार के लिए 20 से 60 हजार रुपये तक मांगे जा रही है. वहीं एंबुलेंस सेवा देने के लिए भी ज्यादा पैसा वसूला जा रहा है.
बाजार से गायब हो रही दवाइयां
कोरोना के इलाज में कारगर मानी जाने वाली कुछ दवाइयां बाजार से धीरे-धीरे गायब हो रही हैं. इनकी कालाबाजारी शुरू हो गई है, साथ कई गुना ज्यादा कीमत वसूली जा रही है. रेमडेसिविर इंजेक्शन और फेबिफ्लू जैसी दवाइयां बाजार से गायब हैं, अब ये ब्लैक में उपलब्ध है. वहीं 1000 से 1500 रुपये में मिलने वाला ऑक्सीमीटर 2000 से 3500 रुपये में मिल रहा है. कोरोना मरीजों को चिकित्सकों की लिखी गई दवाइयां मेडिकल स्टोर में नहीं मिल रही हैं. बाजार से सेफ्टम 500 एमजी, फेबिफ्लू, फ्लूगार्ड, फेवीवोक, डेक्सामेथसोन फोर एमजी और कोविहोप टेबलेट 400 और 200, पैन-डी, ए टू जेड, डोलो 650 एमजी, ग्लिंक्टस प्लेन जैसी खांसी की आम दवाइयां भी बाजार से गायब हो गई हैं.