रांचीः धुर्वा स्थित रांची के जगन्नाथपुर मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. इस मंदिर का निर्माण नागवंशी राजा ठाकुर एनी नाथ शाहदेव ने करवाया था. 326 वर्ष पुरानी यहां की परंपरा है. प्रत्येक वर्ष रथ यात्रा और उसके बाद घूरती रथ यात्रा का भी पौराणिक मान्यता है, लेकिन इस बार कोरोना के कारण इस मंदिर में न तो रथ यात्रा का ही आयोजन हुआ और ना ही घूरती रथ यात्रा हुई. हालांकि भगवान जगन्नाथ के मुख्य मंदिर में विग्रहों की विशेष पूजा अर्चना की गई.
भगवान जगन्नाथ का 9 दिनों का प्रवास खत्म हो गया. भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ 9 दिनों बाद अपने धाम लौटते हैं और यह परंपरा काफी पुरानी है. हालांकि इस वर्ष रांची के जगन्नाथपुर मंदिर में रथ यात्रा का आयोजन नहीं किया गया है और न ही किसी भी तरीके का यहां मेला का आयोजन हुआ है.
कोरोना वायरस के मद्देनजर सुरक्षात्मक कदम उठाते हुए ऐहतिहातन यह फैसला लिया गया है. 9 दिनों बाद भगवान की विशेष पूजा-अर्चना होती है. इसी कड़ी में रांची के जगन्नाथपुर मंदिर में भगवान के मुख्य मंदिर में ही तीनों विग्रहों के लिए विशेष अनुष्ठान का आयोजन किया गया. भगवान को गर्भगृह में विराजित कर दिया गया. प्रभु की विशेष पूजा अर्चना की गई .
सोशल डिस्टेंसिंग का रखा गया ख्याल
कोविड-19 के मद्देनजर मंदिर के विशेष पुरोहितों द्वारा ही सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए भगवान की आराधना की गई. इस दौरान मंदिर प्रांगण में किसी को भी प्रवेश नहीं करने दिया गया. प्रत्येक वर्ष राजधानी रांची के धुर्वा के इस क्षेत्र में लाखों की तादाद में लोग घूरती रथ यात्रा देखने पहुंचते थे, लेकिन इस बार यह प्रथा और यह परंपरा नहीं हो सका.