रांची:झारखंड में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच बेजुबान जानवरों में भी संक्रमण का खतरा बढ़ गया है. ऐसे में देश के 10 सर्वश्रेष्ठ चिड़ियाघर में से एक रांची का बिरसा मुंडा जैविक उद्यान में निवास करने वाले सैकड़ों जानवरों का भी विशेष ख्याल रखा जा रहा है, ताकि हर हाल में उन्हें संक्रमण से बचाया जा सके. ईटीवी भारत की टीम ने जैविक उद्यान का जायजा लिया, कि आखिर किस तरह डॉक्टर और जैविक उद्यान के कर्मचारी जानवरों के लिए संक्रमण रोकने का काम कर रहे हैं.
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डॉक्टर लगातार रख रहे निगरानी
कोरोना संक्रमण को देखते हुए रांची के ओरमांझी स्थित भगवान बिरसा मुंडा जैविक उद्यान में पशुओं का 24 घंटे निगरानी शुरू कर दी गई है. डॉक्टर हर 5 घंटे पर जानवरों के व्यवहार का आकलन कर रहे हैं, ताकि उनमें अगर किसी भी तरह की कोई लक्षण दिखाई दे, तो तुरंत मेडिकल ट्रीटमेंट शुरू किया जा सके. जानवरों को संक्रमण से बचाने के लिए डॉक्टरों और कर्मचारी लगातार सजग हैं. खासकर मांसाहारी जानवरों पर विशेष नजर रखी जा रही है. बिरसा मुंडा जैविक उद्यान में मादा बाघ अनुष्का बड़ा परिवार है. फिलहाल अनुष्का के चार बच्चे हैं, लेकिन अनुष्का के परिवार की पूरी संख्या दस है. इसके अलावा जैविक उद्यान में एक वाइट टाइगर भी है. संक्रमण को देखते हुए सभी बाघों का विशेष ध्यान रखा जा रहा है. खान-पान से लेकर पास जाने तक में एहतियात बढ़ते जा रहा है, साथ ही कर्मचारियों के सैनेटाइजेशन का खास ख्याल रखा जा रहा है. उद्यान के पशु चिकित्सक डॉ. ओम प्रकाश साहू ने बताया कि भारत के एक चिडियाघर में कोरोना वायरस के संक्रमण का मामला सामने आने बाद रांची में जानवरों का खास ख्याल रखा जा रहा है.
हर दिन सेनेटाइज
जैविक उद्यान में जानवरों के केज को तीन स्तरों पर सेनेटाइज किया जा रहा है. पहले स्तर में सामान्य केमिकल से सेनेटाइजेशन किया जा रहा है. इसके बाद हीट सेनेटाइजेशन किया जाता है. इसमें गैस और छह इंच के बर्नर की मदद से आग जलाकर केज के अंदर की सात फीट की दीवार और जानवरों के बैठने और घुमने के स्थान को सेनेटाइज किया जा रहा है. जैविक उद्यान में काम करने वाले कर्मचारियों का भी खास ध्यान रखा जा रहा है. गेट पर घुसते ही उनके हाथ और पैर को सेनेटाइज किया जाता है. इसके साथ ही जब कोई व्यक्ति किसी जानवर के बाड़े में जाता है, तो वह हाथों को सेनिटाइज करने के साथ पैरों को पोटैशियम परमैगनेट से सेनेटाइज करता है. इसके अलावा ग्लव्स आदि का इस्तेमाल भी अनिवार्य कर दिया गया है. बिरसा मुंडा जू के वन क्षेत्र पदाधिकारी रामचंद्र पासवान ने बताया कि इसके साथ ही कर्मचारियों की नियमित स्वास्थ्य जांच भी की जा रही है, यहां तक की जिला प्रशासन के सहयोग से जैविक विज्ञान के सभी कर्मचारियों का कोरोना टेस्ट भी करवाया जाता है.