रांची: दल-बदल मामले में फंसे विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के मामले में गुरुवार को विधानसभा न्यायाधिकरण में सुनवाई हुई. पूर्व निर्धारित समय दोपहर 3 बजे से हुई सुनवाई के दौरान स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो की मौजूदगी में दोनों पक्षों की ओर से सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान वादी पक्ष की ओर से इस मामले में गवाही कराकर जल्द से जल्द फैसला देने का आग्रह किया गया.
प्रदीप यादव-बंधु तिर्की दल-बदल मामला: स्पीकर न्यायाधिकरण में गवाही कराने पर जमकर हुई बहस - रांची न्यूज
प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के दल-बदल मामले में स्पीकर न्यायाधिकरण 11 महीने बाद सुनवाई हुई. गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान गवाही कराने पर जमकर बहस हुई.
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प्रदीप यादव और बंधु तिर्की की ओर से पक्ष रख रहे अधिवक्ता सुमित गड़ौदिया ने इस दौरान गवाही का विरोध करते हुए न्यायाधिकरण से बाबूलाल मरांडी केस में जिस तरह से न्यायाधिकरण ने वगैर गवाही कराए सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा है इसी तरह इस केस में भी गवाही नहीं कराने का आग्रह किया. न्यायाधिकरण में इस केस में गवाही हो या नहीं हो इस मुद्दे पर दोनों पक्षों की ओर से जमकर बहस हुई. इन सबके बीच इस केस के याचिकाकर्ता सरोज सिंह ने न्यायाधिकरण में अपनी लिखित गवाही सुपूर्द कर अन्य लोगों की भी गवाही कराने का आग्रह किया. दोनों पक्षों की ओर से करीब 45 मिनट तक चली सुनवाई के बाद न्यायाधिकरण ने अगली तारीख तक के लिए सुनवाई स्थगित करने की घोषणा की.
प्रदीप और बंधु मामले में 09 महीने बाद हुई सुनवाई:विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की मामले में विधानसभा न्यायाधिकरण में 9 महीने बाद आज (18 मई) सुनवाई हुई. इससे पहले 1 सितंबर को इस मामले में सुनवाई हुई थी. झारखंड विकास मोर्चा से कांग्रेस में शामिल होने वाले विधायक प्रदीप यादव और वर्तमान में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की के ऊपर चल रहे दल-बदल मामले में अब तक आरोप के बिंदु तय हो गए हैं. वादी और प्रतिवादी की ओर से आरोप के बिंदुओं पर पक्ष रखना है. इस केस में झारखंड विकास मोर्चा से कांग्रेस में शामिल होने वाले प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के विधायक समरी लाल, भाजपा नेता सरोज सिंह और विनोद शर्मा ने दल-बदल की शिकायत की है. इन तीनों नेताओं की शिकायत के आधार पर न्यायाधिकरण में लगातार इसकी सुनवाई हो रही है. गौरतलब है कि दल-बदल के एक अन्य मामले में बाबूलाल मरांडी पर लगे आरोप पर विधानसभा न्यायाधिकरण ने फैसला सुरक्षित रखा है.