रांचीः झारखंड में 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जिसे अपना प्रमुख शस्त्र बनाया, वही 2019 के विधानसभा चुनाव में उल्टा पड़ गया. बीजेपी ने सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म का प्रयोग चुनाव में प्रचार के लिए जमकर किया. इसका लाभ 2014 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला और पार्टी को राज्य में 37 सीटें मिली.
सोशल मीडिया पड़ा भारी
2019 चुनाव में तीन अलग-अलग टीमें जुटी थी. विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी ने बाकायदा अपने आईटी सेल को सोशल मीडिया का टास्क दिया. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी कार्यालय के पास कथित रूप से एक कॉल सेंटर और एक सोशल मीडिया विंग अलग से कार्यालय में सक्रिय किया गया. आईटी सेल का काम बीजेपी की बातों को टेक्नोलॉजिकल सपोर्ट देना था. वहीं सोशल मीडिया टीम हर दिन विपक्ष को काउंटर करने के लिए अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर स्ट्रेटजी बनाती रही.
यह भी पढ़ें- रघुवर दास के खिलाफ केस वापस लेंगे हेमंत सोरेन!, BJP ने कहा- आधिकारिक जानकारी नहीं
जेएमएम ने की थी शिकायत
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बीजेपी के कथित कार्यकर्ताओं की ओर से चला रहे अलग-अलग वेबपेज की शिकायत आयोग से भी की. उनमें 'ठग्स ऑफ झारखंड'और 'घर-घर रघुवर' जैसे पेज शामिल थे. दरअसल पार्टी सूत्रों की माने तो इन दोनों पेजों का इस्तेमाल सोशल मीडिया में कथित तौर पर बीजेपी के समर्थन में किया जा रहा था. घर-घर रघुवर पेज 16 जुलाई 2019 को बना और इसके 1.92 लाख फॉलोवर हैं, जबकि 'ठग्स ऑफ झारखंड' 82 हजार से अधिक लोग फॉलो करते हैं. इस पेज को14 अक्टूबर 2019 को बनाया गया.
सोशल मीडिया का अहम है रोल
वहीं मौजूदा सरकार में हिस्सेदार कांग्रेस का मानना है कि सोशल मीडिया का उपयोग कर बीजेपी ने 2014 में जो वादे किए वह पूरे नहीं कर पाए, इसलिए 2019 में लोगों ने बीजेपी को नकार दिया. झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा कि सोशल मीडिया की भूमिका चुनाव प्रचार में महत्वपूर्ण हो गई है. इस चुनाव प्रचार में और एक बात देखने को मिली वह याद थी कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व झारखंड में आकर दूसरे राज्यों की बात करता रहा जिसे यहां के लोगों ने नकार दिया. वहीं बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि दरअसल पिछले 5 साल में सोशल मीडिया के मार्फत पार्टी ने अपने विकास कार्यों को लोगों तक पहुंचाने की पूरी कोशिश की. दूसरी तरफ विपक्ष ने एक नकारात्मक कैंपेनिंग चलाई जिसका परसेप्शन शायद ज्यादा तेजी से फैला. चूंकि नेगेटिव चीजें समाज में जल्दी फैलती है, इसलिए उसका असर इस चुनाव में देखने को मिला.