रांचीः वर्ष 2007 में राज्य के सबसे बड़े सदर अस्पताल के रूप में रांची सदर अस्पताल को विकसित करने की पहल शुरु हुई. इस सपने के साथ तत्कालीन सरकार ने अस्पताल परिसर में 127 करोड़ की लागत से बनने वाले 500 बेडे वाले अत्याधुनिक अस्पताल की आधारशिला रखी. लेकिन इतने साल में भी अब तक यहां मरीजों का इलाज शुरू (Ranchi Sadar Hospital development work Slow) नहीं हो पाया. भवन बन जाने के बाद यहां संसाधनों की कमी का हवाला दिया जा रहा है.
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रांची सदर अस्पताल को अत्याधुनिक बनाने का काम होते होते 15 साल बीतने को है. सरकारी काम की लेटलतीफी और कई बार अलग अलग कारणों से सदर अस्पताल का भवन बनने में 15 साल लग गए. वह भी जनहित याचिका की लगातार सुनवाई और उच्च न्यायालय के एक के बाद एक आदेश के बाद ऐसा मुमकिन हो पाया. अब अस्पताल के नवनिर्मित भवन का काम (Sadar Hospital building construction in Ranchi) पूरा हो जाने के दावे के साथ निर्माणकर्ता विजेता कंस्ट्रक्शन ने स्वास्थ्य विभाग को भवन हैंडओवर (Ranchi Sadar Hospital building handovered) कर दिया है जबकि अभी भी छोटे बड़े कई काम बाकी हैं.
वर्ल्ड क्लास सुविधाओं से लैस अस्पताल बनाने को ध्यान में रखकर रांची सदर अस्पताल परिसर में 127 करोड़ की लागत से बनने वाली 500 बेडेड अस्पताल भवन का निर्माण पूरा जरूर हुआ लेकिन इसकी कुल लागत बढ़कर 354 करोड़ हो गयी. अब जब अस्पताल का भवन लगभग पूरी तरह बनकर तैयार है तो अब समस्या मानव संसाधन और अन्य लॉजिस्टिक सपोर्ट की है. 07- 07 अत्याधुनिक ऑपेरशन थियेटर और 500 बेड की व्यवस्था के लिए जितने डॉक्टर्स, नर्स और अन्य स्टाफ और अन्य उपकरण के साथ साथ टेबल कुर्सी तक की जरूरत है पर अभी तक इसकी कोई व्यवस्था नहीं की गई है.
इस अस्पताल भवन के निर्माण में हो रही देरी और उससे बीमार, गरीब मरीजों को होने वाली दिक्कत का हवाला देकर 2016 में झारखंड उच्च न्यायालय में PIL करने वाले युवा RTI कार्यकर्ता और समाजसेवी ज्योति शर्मा कहते है कि सुनवाई के दौरान एक के बाद एक हर सुनवाई में दिए गए आदेश और फटकार की वजह से अस्पताल भवन को हैंडओवर ले लिया गया और काम पूरा दिखा दिया गया. लेकिन हकीकत यह है कि अभी भी कई काम बाकी हैं तो कई जगह मानकों के अनुरूप काम नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि इस वर्ष यह अस्पताल गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करने में सक्षम की उम्मीद कम ही है.
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PIL दायर करने वाले ज्योति शर्मा कहते है कि 127 करोड़ का बजट सिर्फ लेट लतीफी की वजह से बढ़कर 354 करोड़ का हो गया, इसकी जवाबदेही किसकी है. अब अदालत को गुमराह करने के लिए बिना पूरा काम हुए 500 बेडेड अस्पताल भवन हैंड ओवर ले लिया गया लेकिन जरूरी संसाधन की व्यवस्था नहीं की गयी है. वो कहते हैं कि भविष्य में 500 बेड का यह अस्पताल 500 मरीजों का इलाज करने लगे तो ना सिर्फ बीमार लोगों को राहत मिलेगी बल्कि रिम्स पर भी मरीजों का बोझ कम होगा. ज्योति शर्मा कहते हैं कि अगर कोरोना काल में यह चालू अस्पताल रहता तो कोरोना की दूसरी लहर के दौरान राज्यवासियों को बहुत राहत मिलती. क्योंकि कोर्ट के आदेश से इसी भवन का एक भाग पश्चिमी हिस्सा जो 2016 में सदर अस्पताल को मिला है, उसमें अभी मातृ एवं शिशु केंद्र चलता है और कोरोना के दौरान वहां कोरोना रोगियों का भी इलाज हुआ.
इस वर्ष नए भवन में ओपीडी शिफ्ट हो जाए, इसकी कोशिश जारी- डॉ. एके खेतानः रांची सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ एके खेतान कहते हैं कि काफी मशक्कत के बाद अस्पताल का नया भवन हैंडओवर हुआ है, अब इसे जल्द शुरू करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने माना कि कुछ परेशानियां मानव संसाधन और लॉजिस्टिक को लेकर है पर उसे जल्द दूर कर लिया जाएगा.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि अब इसका वनवास खत्म होना चाहिएः मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जब राज्य में कोरोना टीकाकरण का शुभारंभ करने यहां आए थे तब उन्होंने कहा था कि अब इसका वनवास खत्म होना चाहिए. लेकिन मुख्यमंत्री के इस संदेश का भी लंबा वक्त बीत जाने के बावजूद अस्पताल भवन हैंडओवर तक ही पहुंचा है. यहां गरीबों जरूरतमंदों का इलाज अब तक शुरू नहीं हो पाया है.