रांची: झारखंड की राजनीति एक अबूझ पहेली बनती जा रही है. नववर्ष के पहले दिन से लेकर तीन तारीख तक जो घटनाएं देखने को मिलीं, उसका आखिर क्या मतलब निकलता है. एक जनवरी को सरफराज अहमद के गांडेय सीट छोड़ने वाली बात सामने आते ही ऐसा लगा कि कुछ बड़ा होने वाला है. दिन भर उनके इस्तीफे की वजह ढूंढा जाता रहा. भाजपा के कई नेताओं ने यहां तक कह दिया कि सारा खेल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का रचा हुआ है. वह जानते हैं कि लैंड स्कैम मामले में ईडी के सातवें और अंतिम समन के बाद कभी भी कुर्सी जा सकती है. इसलिए वह अपनी पत्नी कल्पना सोरेन के लिए पॉलिटिकल प्लॉट तैयार कर रहे हैं.
संभावनाओं के बादल और ज्यादा तब गहरा गये जब सीएम आवास पर सत्ताधारी दलों के विधायकों की बैठक का समय तय होते ही राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन 2 जनवरी की शाम चेन्नई के लिए रवाना हो गये. लेकिन 2 जनवरी को ही कल्पना सोरेन के नाम पर विराम लगाकर सीएम ने नया सस्पेंस खड़ा कर दिया. उन्होंने दो टूक कह दिया कि यह भाजपा की कोरी कल्पना भर है. कल्पना सोरेन सीएम नहीं बनने जा रही हैं.
अब सबकी नजर 3 जनवरी को सत्ताधारी दल के विधायकों की बैठक पर थी. लेकिन बैठक के प्रस्तावित समय से करीब 11 घंटा पहले ईडी की चौतरफा रेड ने माहौल को और गरमा दिया. क्योंकि यह रेड सीएम के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू के अलावा साहिबगंज के डीसी रामनिवास यादव समेत कई करीबियों के ठिकानों पर पड़ी थी. लेकिन एक तरफ रेड चलता रहा और दूसरी तरफ शाम होते ही सीएम आवास पर विधायकों का जमावड़ा लग गया. इसी बीच एक और नया डेवलपमेंट हुआ.
बाबूलाल मरांडी ने राज्यपाल के नाम लिखी अपनी चिट्ठी सार्वजनिक कर दी. उन्होंने आग्रह कर दिया कि अगर कोई गैर विधायक सरकार बनाने का दावा पेश करता है तो वह असंवैधानिक होगा. इसबीच सीएम आवास पर करीब दो घंटे चली बैठक के बाद जब विधायक बाहर निकले तो सभी का रटा रटाया बयान आया कि ऑल ईज वेल. हेमंत सोरेन ही मुख्यमंत्री रहेंगे. हॉट केक बने सरफराज अहमद ने तो यहां तक कह दिया कि पिकनिक हो रहा है. अभी बैठकों का दौर जारी रहेगा.