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Elephant Terror In Ranchi: कहां गया गजराज! रांची में हाथी के आतंक का साइड इफेक्ट, देखिए ग्राउंड रिपोर्ट

रांची के इटकी में 21 फरवरी की सुबह एक हाथी ने तीन गांवों में घुसकर चार लोगों की जान ले ली. इन गांवों में जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो यहां तबाही के निशान साफ तौर पर दिखे.

Elephant Terror In Ranchi
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Published : Feb 22, 2023, 6:40 PM IST

Updated : Feb 22, 2023, 7:16 PM IST

जानकारी देते ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह

रांची:चिड़िया घर का पाला हुआ हाथी होता तब तो कोई नाम होता. यह तो जंगल से आया था. जो चपेट में आया, उसको रौंद डाला. 21 फरवरी को रांची के इटकी प्रखंड के तीन गांवों में घुस गया और चार परिवारों को कभी न भूलने वाला जख्म दे डाला. जान गंवाने वाले सभी बुजुर्ग थे. इनमें तीन पुरूष और एक महिला थी. ईटीवी भारत की टीम जब घटनास्थल पर पहुंची तो जंगली हाथी के गुस्से के निशान अलग-अलग रूप में दिखाई पड़े. युवाओं के चेहरे पर गुस्सा और खौफ दिखा तो बुजुर्ग लाचार नजर आए. सबके चेहरे पर एक ही सवाल था कि अगर हाथी फिर आ गया तो क्या होगा.

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गड़गांव में दहशत के निशान:ईटीवी भारत की टीम गड़गांव में रधवा (राधा) देवी के घर पहुंची तो मातमपुर्सी करतीं सिर्फ महिलाएं नजर आई. उनकी बहू ने आंखों देखी घटना बताई. उन्होंने बताया कि सुबह करीब 5 बजे उनकी सास रधवा देवी अपने झोपड़े के बगल में मौजूद कुएं के पास कुछ काम कर रहीं थी. इसी बीच हाथी आ धमका. वह भाग नहीं पाई. हाथी ने उनको कुचल दिया. घर के लोगों ने आगे बढ़ने की कोशिश की तो रौंदने दौड़ पड़ा. डर के मारे सभी घर में बंद हो गये. थोड़ी देर बाद बाहर निकले तो देखा कि हाथी जा चुका था. बुजुर्ग रधवा देवी दर्द से कराह रही थी. उन्हें इटकी अस्पताल से रिम्स रेफर कर दिया गया. लेकिन जान नहीं बच पाई.

जानकारी देते ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह

चचगुरा गांव में पसरा है सन्नाटा:ईटीवी भारत की टीम चचगुरा गांव पहुंची. वहां की तस्वीर दिल दहलाने वाली थी. एक तरफ 60 वर्षीय पुनई उरांव की चिता सजी थी तो ठीक उनके बगल में 65 वर्षीय गोएंदा उरांव को दफनाया जा रहा था. समझ में नहीं आया कि दोनों जब उरांव समाज के थे तो फिर एक के लिए चिता और एक के लिए कब्र क्यों. इसका जवाब पुनई उरांव के ममेरे भाई सोमरा उरांव ने दिया. उन्होंने कहा कि जिनके पास लकड़ी काठी है वो शव को जलाते हैं और जिनके पास नहीं है वो दफनाते हैं. जहां अंतिम संस्कार हो रहा था, वहां से करीब एक किलोमीटर दूर खेत और जंगल के मुहाने पर हाथी ने दोनों बुजुर्गों को कुचला था. दोनों खेत में काम करने गये थे. मातमपुर्सी करने पहुंचे ग्राम प्रधान सुखदेव उरांव ने बताया कि सरकार को इस समस्या का ठोस हल ढूंढना होगा. हालांकि उन्होंने माना कि हाथी के आने पर गांव के युवाओं को संयम रखना चाहिए. हाथी को नहीं छेड़ना चाहिए. पत्थर नहीं फेंकना चाहिए.

गांव में हाथी का हमला

क्या है वन विभाग की आगे की तैयारी:रांची के डीएफओ श्रीकांत कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि 21 फरवरी की रात के बाद से हाथी UNTRACEABLE (कोई अता पता नहीं) है. उन्होंने कहा कि रात के वक्त हाथी को चचगुरा से पास के जंगल की ओर खदेड़ा गया था. लिहाजा, एक अनुमान के मुताबिक वह हाथी बेड़ो के सौका जंगल में दाखिल हो चुका है. क्योंकि 22 फरवरी की शाम तक उसको कहीं नहीं देखा गया है. वैसे वन समिति को अलर्ट किया गया है कि अगर किसी चरवाहे को भी अकेला हाथी नजर आए तो फौरन सूचित करें. उन्होंने कहा कि एक-दो दिन के भीतर अगर फिर वह किसी इंसान को चपेट में लेता है तो वन विभाग ठोस कदम उठाने की तैयारी कर चुका है.

इस बीच शाम 6 बजे वन विभाग को मिली जानकारी के मुताबिक हाथी को गड़गांव से करीब 5 किलोमीटर दूर खाम्बा गांव के पास देखा गया है. डीएफओ ने कहा कि यह इलाका इटकी प्रखंड में ही है इसलिए उन्होंने लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है.

गजराज का रौद्र रूप उड़ा देगा होश:इसका घटना का विजुअल देखकर आपको हैरत होगी. यह विशालकाय हाथी नहीं है. इसमें बहुत तेजी है. तुरंत पलटकर चिंघाड़ते हुए दौड़ता है. पशुपालन विभाग के एक चिकित्सक ने इस हाथी की तस्वीर देखकर बताया कि यह व्यस्क वाली अवस्था में पहुंच चुका है. ऐसे हाथी झुंड से भटकने के बाद घबराए हुए रहते हैं. उनके रास्ते में जो भी आता है, उसपर गुस्सा उतारते हैं. गांवों में लड़कों की शरारत की वजह से और ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं. इसका खामिया बुजुर्ग या बच्चों को उठाना पड़ता है. शरारती युवक तो भाग खड़े होते हैं लेकिन बुजुर्ग और बच्चे हाथी की चपेट में आ जाते हैं.
रांची में इस गजराज के गुस्से का पहला शिकार 60 वर्षीय सुखवीर किंडो बने थे. मोरो गांव के बोड़ेया टोली में अचानक इनका सामना गुसैल हाथी से हो गया था. उनको हाथी ने इस कदर रौंदा कि उनकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई जबकि एतवा उरांव बाल-बाल बच गये. वह घायल हैं. इस हाथी का कहर 8 फरवरी को हजारीबाग से शुरू हुआ था. वहां उसने दो बुजुर्ग और एक युवती को कुचलकर मार डाला था. इसके बाद चतरा और लातेहार होते हुए लोहरदगा में घुस आया. यहां उसने पांच लोगों की जान ले ली. 13 दिन के भीतर यह हाथी चौदह लोगों की जान ले चुका है.

Last Updated : Feb 22, 2023, 7:16 PM IST

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