रांचीः प्रदेश में सत्तारूढ़ महागठबंधन के प्रमुख घटक दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन अपने आप में एक किंवदंती हैं. जिस उम्र में अमूमन लोग रिटायरमेंट की तरफ रुख कर लेते हैं उम्र के उस पड़ाव में अपने लोगों के बीच 'गुरुजी' के नाम से विख्यात सोरेन तीसरी बार राज्यसभा जाने के लिए निकल पड़े हैं.
दो बार राज्यसभा सांसद रह चुके
73 साल की अवस्था में शिबू सोरेन ने बुधवार को झारखंड की खाली हो रही दो राज्यसभा सीटों में से एक पर अपना नामांकन दाखिल किया है. सोरेन झारखंड की पॉलिटिक्स के ऐसे राजनेता है जिनके माथे सबसे कम दिनों तक राज्य का मुख्यमंत्री होने का रिकॉर्ड है. वहीं दूसरी तरफ राज्य का तीन बार चीफ मिनिस्टर होने का भी रिकॉर्ड है. झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेता रहे सोरेन 8 बार लोकसभा में सांसद भी रह चुके हैं. इतना ही नहीं दो बार राज्यसभा भी जा चुके हैं.
एकीकृत बिहार में झामुमो विधायक दल के नेता रहे हैं सोरेन
एकीकृत बिहार में शिबू सोरेन बिहार विधानसभा में झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक दल के नेता भी रह चुके हैं. 1984 में दुमका जिले की जामा विधानसभा सीट के लिए हुए चुनाव से चुनकर बिहार विधानसभा पहुंचे सोरेन उस दौर में पार्टी के विधायक दल के नेता रहे हैं. हालांकि झारखंड में तीन बार मुख्यमंत्री बनने के बावजूद वह झारखंड विधानसभा में इंट्री नहीं की. हालांकि एकबार उन्हें मौका मिला लेकिन उन्होंने लोकसभा का रास्ता ही चुना. 2009 में एक उपचुनाव हारे, बाद में दूसरी सीट पर की जीत दर्ज 2009 में बतौर मुख्यमंत्री उन्होंने तमाड़ विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव पर भाग्य आजमाया लेकिन वहां उन्हें करारी शिकस्त झेलनी पड़ी. इसके ठीक बाद जामताड़ा विधानसभा सीट से तत्कालीन विधायक विष्णु भैया ने इस्तीफा देकर गुरुजी को वहां से चुनाव लड़ाया. हालांकि शिबू सोरेन जामताड़ा सीट पर जीत गए. उन्हें 42,668 वोट भी मिले लेकिन उसी दौरान हुए लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की और विधानसभा की बजाय वह लोकसभा चले गए.
लगातार तीन बार दुमका से सांसद