शारदीय नवरात्र की शुरुआत शनिवार से होने जा रही है, जिसकी तैयारियां हर जगह देखने को मिलने लगी हैं. प्रदेश भर में शारदीय नवरात्र की तैयारी काफी जोर-शोर से चल रही है, हालांकि कोरोना काल में इस बार नवरात्रि काफी सावधानी के साथ मनाई जा रही है, फिर भी सरकार ने बहुत कुछ छूट दे दिया है. शारदीय नवरात्र में अक्सर देखा जाता है कि, जगह-जगह पंडाल लगते हैं, नवरात्रि में देवी की पूजा की जाती है. 9 दिन के दौरान हर कोई माता की पूजा में लीन रहता है, ऐसे में सबके मन में सवाल रहता है कि, नवरात्रि के नौ दिन कैसे करें मां की पूजा, किन बातों का रखे ख्याल, क्या हैं पूजा और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, इन्हीं तमाम सवालों के जवाब पाने के लिए ईटीवी भारत संवाददाता ने खास बातचीत की पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से और जाना नवरात्र के दिनों में कैसे करें माता रानी को खुश.
घट स्थापन का शुभ मुहूर्त
पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री के अनुसार इस बार नवरात्र 17 अक्टूबर यानी शनिवार के दिन से शुरू होने जा रही है, जिसके लिए घट स्थापन का समय ठीक 8 बजे से लेकर 10 बजे तक है. एक अभिजित मुहूर्त सुबह 11:30 से 12 के बीच है और शेष 2 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक स्थापना का विशेष मुहूर्त है.
कैसे करें स्थापना ?
जो लोग इस नवरात्र में आदि शक्ति माँ दुर्गा की स्थापना करना चाह रहे हैं, वो घर में पहले तो एक सुंदर सा पटा पर लाल कपड़ा बिछावें, एक लोटा में चावल भरके और लाल कपड़े में नारियल बांध कर वहां स्थापित करें और देवी की प्रतिमा रखें. वहां धूप दीप नैवेद्य सब विधि विधान से माता की पूजन करें.
नौ दिन में नौ देवियों की पूजा
नवरात्रि के 9 दिनों में 9 देवियों की पूजा की जाती है, प्रथम दिन मां शैलपुत्री की स्थापना होती है, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठवें दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी के रूप में मां के पूजन के बाद नौवें दिन सभी देवियों का एक रूप बनता है और उस दिन विशेष रूप से उनका पूजन होता है.