रांचीःझारखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति और इसके क्रियान्वयन संबंधित विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया (Seminar On National Education Policy)गया. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल रमेश बैस ने शिरकत की. इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा और ज्ञान की वजह से प्राचीन काल में भारत विश्व गुरु हुआ करता था. शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में भारत ने दुनिया को कई चीजें दी हैं. नई शिक्षा प्रणाली एक बार फिर भारत को विश्व गुरु (India Will Once Again Become Vishwa Guru) बनाएगा.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित संगोष्ठी में बोले राज्यपाल रमेश बैस- नई शिक्षा प्रणाली से एक बार फिर भारत विश्व गुरु बनेगा
रांची में राष्ट्रीय शिक्षा नीति और इसके क्रियान्वयन संबंधित विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया (Seminar On National Education Policy) गया. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल रमेश बैस ने शिरकत की.
नई शिक्षा नीति गांधी और विवेकानंद के कल्पना को साकार करेगीः राज्यपाल रमेश बैस ने नई शिक्षा नीति (New Education Policy) के क्रियान्वयन पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए कहा कि संगोष्ठी का आयोजन शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास झारखंड और भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान रांची के संयुक्त तत्वावधान में किया गया है. राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि नई शिक्षा नीति महात्मा गांधी और स्वामी विवेकानंद के कल्पना को साकार करने वाली शिक्षा नीति है.
नई शिक्षा नीति में मातृभाषा का खास ध्यानः राज्यपाल ने कहा कि (Jharkhand Governor Ramesh Bais) शिक्षा का शाब्दिक अर्थ सामाजिक क्रिया है. जिससे मनुष्य की आंतरिक शक्ति बढ़ती है. नई शिक्षा नीति में मातृभाषा का ध्यान रखा गया है. अब पूरी तरह वैज्ञानिक पद्धति पर शिक्षा आधारित है. इस शिक्षा नीति में चिकित्सा और वकालत को छोड़ उच्च शिक्षा के लिए एक उच्च शिक्षा आयोग की भी परिकल्पना की गई है. जो शिक्षा के क्षेत्र में तमाम आयामों को देखेगा. वहीं शिक्षा नीति में मातृभाषा का विशेष महत्व दिया गया है.
संगोष्ठी में राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति मौजूद थेः संगोष्ठी में राष्ट्रीय शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव अतुल कोठारी ने भी संबोधित किया. उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति की प्रचार-प्रसार के लिए इस तरह की संगोष्ठी का आयोजन जरूरी है. इस संगोष्ठी में राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रति कुलपति शिक्षक और छात्र-छात्राएं मौजूद थे.