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Naxal operation in Saranda: बूढ़ापहाड़ के बाद सारंडा कैप्चर करने की मुहिम में लगे जवान, आईईडी ब्लास्ट कर रोकने की कोशिश - झारखंड न्यूज

बूढ़ापहाड़ के बाद सुरक्षाकर्मी सारंडा को कैप्चर करना चाहते हैं. इसे लेकर इलाके में सुरक्षाबलों की गतिविधि बढ़ गई है. नए नए कैंप खोले जा रहे हैं. वहीं माओवादी पुलिस को रोकने के लिए लगातार आईईडी ब्लास्ट का सहारा ले रहे हैं. पिछले 21 दिनों के अंदर सारंडा के इलाके में 7 आईईडी ब्लास्ट हुए हैं.

Security personnel engaged in campaign to capture Saranda
नक्सल अभियान में लगे सुरक्षाकर्मी

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Published : Feb 2, 2023, 4:22 PM IST

Updated : Feb 2, 2023, 6:09 PM IST

रांची: पिछले एक माह से झारखंड के कोल्हान में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच घमासान मचा हुआ है. झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ के संयुक्त बलों ने बूढ़ापहाड़ के बाद सारंडा कैप्चर करने की मुहिम शुरू कर दी है. वहीं, दूसरी तरफ नक्सली किसी भी कीमत पर सुरक्षा बलों को रोकने के लिए आईईडी बमों का प्रयोग कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें-IED Blast in Chaibasa: चाईबासा में एक बार फिर हुआ आईईडी ब्लास्ट, तीन जवान घायल, एयरलिफ्ट कर लाया गया रांची

कैम्पों का निर्माण शुरू:बूढ़ापहाड़ को नक्सलमुक्त करने से उत्साहित संयुक्त बलों ने अब माओवादियों के बड़े ठिकानें के तौर पर चिन्हित सरजामबुरू के आसपास स्थायी कैंप का निर्माण शुरू कर दिया है. सुरक्षाबलों ने सरजामबुरू के समीप टोंटो के इलाके के लुईया और हाथीबुरू गांव में कैंप का निर्माण शुरू किया है. इन इलाकों में ही माओवादियों के पोलित ब्यूरो सदस्य और एक करोड़ के इनामी मिसिर बेसरा, केंद्रीय कमेटी सदस्य पतिराम मांझी उर्फ अनल का दस्ता सक्रिय है. सारंडा के इलाके को माओवादियों के ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो का मुख्यालय माना जाता है. ऐसे में इस इलाके में नक्सलियों की पकड़ कमजोर होने से कई राज्य के माओवादी आंदोलन प्रभावित होगा.

लगातार चल रहा मुठभेड़:टोंटो के सरजामबुरू इलाके में पुलिस ने माओवादियों की काफी मजबूत घेराबंदी की है. इस इलाके में कई माओवादी नेताओं को पुलिस ने घेरे रखा है. यही वजह है कि इस इलाके में लगातार आईईडी ब्लास्ट और मुठभेड़ की घटनाएं हो रही हैं. मंगलवार को भी लुईया के समीप पुलिस बलों के साथ माओवादियों की मुठभेड़ हुई थी. वहीं गुरुवार को आईईडी ब्लास्ट हुआ जिसमें तीन जवान घायल हो गए. दरअसल, पुलिस मुख्यालय यह जानता है कि इन इलाकों में कैंप के निर्माण से रणनीतिक तौर पर सुरक्षाबलों को काफी फायदा मिलेगा. यही वजह है कि नक्सलियों के लगातार हमलों के बावजूद सुरक्षा बल मजबूती के साथ जंगलों में टिके हुए हैं.

21 दिनों में 7 ब्लास्ट:चाईबासा के इस इलाके में पिछले 21 दिनों में माओवादी सात बार आईईडी ब्लास्ट कर चुके हैं. इसमें एक ग्रामीण सहित कई सुरक्षाकर्मी भी घायल हुए हैं. इससे पहले 25 जनवरी को एक आईईडी ब्लास्ट हुआ था जिसमें एक सीआरफीएफ अधिकारी घायल हुए थे. जिन्हें एयरलिफ्ट कर रांची लाया गया था.

Last Updated : Feb 2, 2023, 6:09 PM IST

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