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झारखंड सियासी संकट: रायपुर मेफेयर रिजॉर्ट की सुरक्षा बढ़ी - रायपुर मेफेयर रिजॉर्ट

सियासी संकट के बीच झारखंड विधायक रायपुर मेफेयर रिजॉर्ट (Raipur Mayfair Resort) में ठहरे हैं. यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. रिजॉर्ट के आधा किलोमीटर पहले ही बैरिकेडिंग लगाई गई है. अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है.

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Published : Sep 3, 2022, 10:30 PM IST

रायपुर:झारखंड के राजनीतिक उठापटक (Jharkhand Political Crisis ) के बीच करीब 30 से ज्यादा विधायक रायपुर मेफेयर रिजॉर्ट में ठहरे हैं. शुक्रवार को दुमका मर्डर केस को लेकर भाजयुमो ने रिजॉर्ट के सामने प्रदर्शन किया. इसके बाद रायपुर मेफेयर रिजॉर्ट (Raipur Mayfair Resort) की सिक्योरिटी बढ़ा दी गई है. रिजॉर्ट के आसपास कोई भी पहुंच ना सके इसलिए आधा किलोमीटर पहले ही बैरिकेडिंग लगाई गई है. अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती भी की गई है.

इस तरह की गई बाड़ेबंदी: जब से झारखंड के विधायक मेफेयर रिजॉर्ट में रुके हैं, तभी से हाई सिक्योरिटी के बीच विधायक रह रहे हैं. रिजॉर्ट के दो मुख्य गेट में बड़ी संख्या पर पुलिस की तैनाती की गई है. इसके अतिरिक्त भी जगह जगह पर पुलिस बल तैनात हैं. शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रदर्शन किए जाने के बाद बैरिकेडिंग और सुरक्षाबलों की संख्या भी बढ़ाई गई है. अलग अलग शिफ्ट में सुरक्षा बल काम कर रहे हैं. रिजल्ट की सिक्योरिटी में करीब डेढ़ सौ से ज्यादा जवान तैनात हैं.

जानकारी देते संवाददाता

जल्द हो सकती है विधायकों की रवानगी:सियासी घमासान के बीच झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र 5 सितंबर को बुलाया गया है. सदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे से शुरू होगी. विधानसभा भवन में तैयारियां चल रहीं हैं. सरकार के इस फैसले के पीछे कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. इस बीच रायपुर में ठहरे विधायक भी सत्र में शामिल होने के लिए वापस रांची जा सकते हैं.

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क्या है मामला: भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम रघुवर दास ने इस साल 10 फरवरी को सीएम हेमंत सोरेन पर पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया. हेमंत ने अनगड़ा में अपने नाम से पत्थर खदान की लीज ली है और चुनाव आयोग को दिए शपथ पत्र में यह जानकारी छिपाई है. चूंकि सीएम सरकारी सेवक हैं, इसलिए लीज लेना गैरकानूनी है. साथ ही यह पीपुल्स रिप्रेजेंटेटिव एक्ट 1951 का उल्लंघन है. बीजेपी नेताओं ने 11 फरवरी को राज्यपाल से मिलकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता खत्म करने की मांग की.

इसके बाद राज्यपाल रमेश बैस ने शिकायत को चुनाव आयोग को भेजकर सुझाव मांगा. चुनाव आयोग ने इसकी सुनवाई शुरू कर शिकायतकर्ता बीजेपी और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को नोटिस भेजकर अपना-अपना पक्ष रखने के लिए कहा. चुनाव आयोग ने अपनी सुनवाई पूरी की. अब चर्चा है कि आयोग ने अपना सुझाव राज्यपाल को भेज दिया है. इस प्रकार गेंद अब वापस राज्यपाल की कोर्ट में है.

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