रांची:वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण हुई लॉकडाउन के कारण किसानों को काफी नुकसान हुआ है और उनकी फसलों को उचित मूल्य बाजारों पर नहीं मिल पाया. वहीं दूसरी तरफ बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण उनके खेते में लगे हरी सब्जियों को काफी क्षति हुई है. जिसके कारण किसानों को दोहरी मार पड़ी है. इन तमाम चीजों को समझने के लिए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के डायरेक्टर एक्सटेंशन एजुकेशन आर एस कुरील से ईटीवी भारत की टीम ने खास बातचीत की और बताया कि बारिश की वजह से किन-किन फसलों को सबसे ज्यादा क्षति हुई है.
ओलावृष्टि के कारण हुआ है नुकसान
डायरेक्टर एक्सटेंशन एजुकेशन आरएस कुरील ने बताया कि किसानों के खेतों में लगे आम, चीकू इन सभी फसलों को काफी नुकसान हुआ है. हरी सब्जियों को भी बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण नुकसान हुआ है लेकिन दूसरी तरफ किसानों को फायदे भी हुए हैं क्योंकि गर्मी के मौसम में होने वाले सब्जियों को अत्याधिक पानी की आवश्यकता होती है. ऐसे में किसानों को पानी की दिक्कतें नहीं हुई, इसलिए किसानों को ज्यादा घबराने की आवश्यकता नहीं है. चुकी अब खरीफ की फसल बोने का समय आ गया है.
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धान की खेती से की जा सकती है नुकसान की भरपाई
झारखंड में कृषि योग्य भूमि लगभग 28 से 30 लाख हेक्टेयर है जिसमें सिर्फ 18 लाख हेक्टेयर में धान की खेती की जाती है इसलिए यह कहना बिल्कुल सही है कि झारखंड में धान की फसल को मुख्य माना जाता है इसलिए किसान भाई अपने खेतों को अभी के समय में जोताई पूरी तरह से तैयार कर लें, क्योंकि लॉकडाउन और बेमौसम बारिश के कारण नुकसान की भरपाई धान की खेती से की जा सकती है और किसानों को अभी के समय में जो उनके हाथ में है उनके बारे में सोचने की आवश्यकता है. और बीच में हुई बारिश का किसानों को लाभ लेना चाहिए.
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टेलीफोन के जरिए भी बातचीत कर सकते हैं
उन्होंने कहा कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय पूरे प्रदेश में फैला हुआ है जहां से किसानों को विभिन्न प्रकार के लाभ और परामर्श मिलते हैं क्योंकि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञ वैज्ञानिक मौजूद है. इसलिए सभी समस्याओं और परामर्श के लिए अलग-अलग वैज्ञानिकों से किसानों को सलाह मिल पाती है. इसके अलावा सभी तरह के जानकारी के लिए किसान वैज्ञानिकों से डायरेक्ट टेलीफोन के जरिए भी बातचीत कर सकते हैं. इसके अलावा किसानों की बेहतरीन बीज भी बिरसा कृषि विश्वविद्यालय स् मुहैया कराई जाती है. ताकि किसानों की फसलों की पैदावार अच्छी हो सके.