झारखंड में सरकारी स्कूल के बच्चे बेहाल रांची:राज्य सरकार ने सरकारी स्कूलों की शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार के लिए कई कदम उठाये हैं. स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को सरकार द्वारा दी जाने वाली विभिन्न योजनाओं का लाभ समय पर मिले, इसके लिए भी प्रयास किये गये हैं, लेकिन इन दिनों इन योजनाओं का लाभ मिलना मुश्किल हो गया है. बच्चों और उनके अभिभावकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
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दरअसल, राज्य सरकार ने स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए अपना बैंक खाता रखना अनिवार्य कर दिया है. बैंक खाता खोलने के लिए आधार अनिवार्य है और आधार के लिए नगर पालिका द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र आवश्यक है. ऐसे में उन अभिभावकों की परेशानी बढ़ गई है जिनके पास अपने बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र नहीं है. ऐसे बच्चों को सरकारी योजना का लाभ मिलने में काफी परेशानी हो रही है.
जगन्नाथपुर मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक राजेश रंजन कहते हैं कि आधार नहीं होने के कारण बच्चों का बैंक खाता नहीं खुल रहा है और बैंक खाता नहीं रहने के कारण उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने में परेशानी हो रही है. पहला और दूसरा वर्ग में पढ़ने वाले बच्चों को तो पोशाक सहित अन्य सुविधाएं स्कूल स्तर पर दी जाती हैं, लेकिन उससे ऊपर की कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों के लिए बैंक खाता होना अनिवार्य है.
वहीं, शिक्षिका निर्मला कुमारी कहती हैं कि आज के समय में आधार ही एकमात्र आधार है, इसलिए अभिभावकों को जागरूक होना होगा, लेकिन समस्या यह है कि वार्ड पार्षद नहीं होने के कारण जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अभिभावकों को ब्लॉक और नगर निगम का चक्कर लगाना पड़ता है. वहीं ई-विद्या वाहिनी में उन्हीं बच्चों का नाम दर्ज किया जाएगा, जिनके पास आधार और बैंक खाता होगा, ऐसे में सरकारी रिकॉर्ड में बच्चों की संख्या वास्तविक संख्या से कम दिखाई देगी.
वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं सुलझा पा रही परेशानी: शिक्षा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य के सरकारी स्कूलों में 4836754 बच्चे नामांकित हैं. इनमें से 3414338 लाख बच्चों के बैंक खाते खोले जा चुके हैं जबकि शेष 1422416 बच्चों के बैंक खाते नहीं खोले गए हैं. राज्य सरकार ने बैंकों के अलावा डाकघरों में भी खाता खोलने की व्यवस्था की है. बैंक खाता नहीं होने के कारण हो रही परेशानी को देखते हुए शिक्षा विभाग ने उन बच्चों को अपने अभिभावक के नाम से खुले बैंक खाते में योजना की राशि का भुगतान करने को कहा है. इस आदेश के बावजूद उन अभिभावकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है जिनके एक से अधिक बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं. पहाड़ी टोला हिंदी मध्य विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक घनश्याम ओझा कहते हैं कि जिन बच्चों को सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलता, उनके अभिभावक विद्यालय आकर शिकायत करते हैं.