रांची: झारखंड में मेनहर्ट नियुक्ति घोटाला को लेकर राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने अग्रेतर कार्रवाई के लिये सरकार से अनुमति मांगी है. इसके पूर्व भी तत्कालीन निगरानी ब्यूरो ने 2009 से 2011 के बीच पांच बार इस मामले की जांच के लिये सरकार से अनुमति मांगी थी, जो नहीं मिली. अब तक हुई इस कांड की जांच में पाया गया है कि अयोग्य होने के बावजूद मेनहर्ट परामर्शी की नियुक्ति हुई, एक षड्यंत्र के तहत तथ्यों की अनदेखी की गई, जांच के निष्कर्षों को दबाया गया.
मेनहर्ट परामर्शी की नियुक्ति में षड्यंत्र एवं भ्रष्ट आचरण के जिम्मेदार व्यक्ति अपना कसूर स्वीकार करने के बदले ‘उल्टा चोर कोतवाली को डांटे की भूमिका में हैं. वे चोरी भी और सीनाजोरी भी पर उतारू हैं. उनका निर्लज्ज बर्ताव पूरी व्यवस्था को चुनौती दे रहा है.
अपने पत्र में सरयू राय ने लिखा है कि मेनहर्ट की बहाली और बहाली में हुई अनियमितताओं पर पर्दा डालने का षड्यंत्र विभिन्न समितियों की जांच के बाद उजागर हो गया है. इसके लिये जिम्मेदार व्यक्तियों का भ्रष्ट आचरण भी सबके सामने आ गया है. भ्रष्ट आचरण और षड्यंत्र रचने के दोषियों पर कार्रवाई होना बाकी है. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने इसके लिये सरकार से अनुमति मांगी है.