रांची:सरयू राय ने आरोप लगाया है कि साल 2016 में राज्य के स्थापना दिवस के मौके पर स्कूली बच्चों के बीच टी-शर्ट, टॉफी वितरण, सुनिधि चौहान का गीत कार्यक्रम और शहर की सजावट के नाम पर करोड़ों की हेराफेरी हुई है. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को जिम्मेदार ठहराते हुए एसीबी से जांच कराने की मांग की है.
पूर्व मंत्री ने सीएम को लिखे पत्र में कहा है कि पंचम झारखंड विधानसभा के पंचम सत्र (बजट सत्र) में 22 मार्च 2021 को उनकी ओर से पूछे गए अल्पूसचित प्रश्न संख्या-85 के उत्तर में सरकार ने स्वीकार किया है. उन्होंने पत्र में लिखा कि राज्य स्थापना दिवस-2016 के अवसर पर स्कूली बच्चों के बीच प्रभात फेरी के अवसर पर बांटने के लिये 5 करोड़ रुपए की टी-शर्ट और 35 लाख रुपये की टॉफी की खरीद में अनियमितता हुई है. इसके अलावा टॉफी की आपूर्ति करनेवाले जमशेदपुर के 'लल्ला इंटरप्राईजेज' पर वाणिज्य-कर विभाग ने 17 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना इस कारण से लगाया है कि उक्त अवधि में लल्ला इंटरप्राईजेज के हिसाब-किताब में न तो टॉफी की खरीद का जिक्र है और ना ही टॉफी के बिक्री का जिक्र है.
ये भी पढ़ें-कोरोना गाइडलाइन को ठेंगा, अंबा ने जमकर खेली मटका फोड़ होली, लोगों ने कोसा
शक के घेरे में ‘मेसर्स कुड़ू फैब्रिक्स’
इसी तरह इस कार्यक्रम के अवसर पर पंजाब के लुधियाना से ‘मेसर्स कुड़ू फैब्रिक्स’ की ओर से आपूर्ति किए गए 5 लाख टी-शर्ट किन वाहनों से लाए गए, इसकी जानकारी भी सरकार के पास नहीं है. इसका भी पता झारखंड सरकार को नहीं है कि पंजाब सरकार ने लुधियाना से रांची लाने के लिए टी-शर्ट लदे किसी ट्रक को रोड परमिट दिया है या नहीं? सरकार ने यह भी स्वीकार किया है कि झारखंड की सीमा में इस ट्रक के प्रवेश करने और रांची तक आने के लिये झारखंड सरकार ने ‘कुडू फैब्रिक्स’ को कोई रोड परमिट जारी नहीं किया है. यानी कुल मिलाकर टाॅफी और टी-शर्ट की आपूर्ति में फर्जीवाड़ा हुआ है. अगर टी-शर्ट की खेप रेलवे से आई है तो उसकी बिल्टी और पंजाब सरकार या झारखंड सरकार का परमिट इसके साथ होना चाहिए, पर सरकार के पास ऐसे कोई कागजात नहीं हैं. राज्य स्थापना वर्ष-2016 के अवसर पर केवल टाॅफी और टी-शर्ट की खरीद और आपूर्ति में ही भ्रष्टाचार नहीं हुआ है, अन्य मदों में भी घपला ही घपला हुआ है.
जमशेदपुर में सुनिधि चौहान के कार्यक्रम में मुख्य आयोजक थे रघुवर दास
बॉलीवुड पार्श्व गायिका सुनिधि चौहान के सांस्कृतिक कार्यक्रम पर करीब 55 लाख रुपए से अधिक का व्यय सरकार की ओर से दिखाया गया है. उल्लेखनीय है कि राज्य स्थापना दिवस 15 नवम्बर, 2016 के अतिरिक्त सुनिधि चौहान का कार्यक्रम 6 नवंबर, 2016 को छठ पूजा के अवसर पर जमशेदपुर में भी हुआ था. जांच का विषय है कि क्या इस निजी कार्यक्रम का खर्च भी सुनिधि चौहान के राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर हुए सरकारी कार्यक्रम के खर्च में ही तो नहीं जोड़ दिया गया है. ज्ञात हो कि झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ही जमशेदपुर सूर्य मंदिर परिसर में आयोजित छठ पूजा कार्यक्रम के आयोजक थे. इन्होंने सुनिधि चैहान के जमशेदपुर के कार्यक्रम पर कितना खर्च किया है, यह सार्वजनिक होना चाहिए.
ये भी पढ़ें-धरती पर मौजूद 100 लीटर पानी में डेढ़ चम्मच ही पीने लायक, झारखंड की स्थिति चिंताजनक
महज 20 दिन में तैयार हुआ था कार्यक्रम की रूपरेखा
राज्य स्थापना वर्ष-2016 का कार्यक्रम हर साल 15 नवम्बर को आयोजित किया जाता है. यह एक स्थायी कार्यक्रम है. इसकी तैयारी आनन-फानन में 20 दिनों के भीतर किए जाने और इसके लिए टाॅफी, टी-शर्ट, सुनिधि चौहान का कार्यक्रम, जर्मन हैंगर, पूरे रांची शहर और कार्यक्रम स्थल पर साज-सज्जा की व्यवस्था में हुये खर्च को आकस्मिक खर्च बताने, इसके लिए राज्य वित्तीय नियमावली की धारा-245 के अधीन धारा-235 के प्रावधानों को शिथिल कर मनोनयन के आधार पर विभिन्न आइटम के लिए मनोनयन के आधार पर कार्यादेश देने का कोई तुक नहीं है. लेकिन 2016 में तत्कालीन सरकार ने ऐसा ही किया है. यह निर्णय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में 21 अक्टूबर 2016 को लिया गया था.
इस बारे में निम्नांकित बिंदु गौर किये जाने योग्य है
- 15 नवंबर, 2016 को आयोजित राज्य स्थापना दिवस कार्यक्रम के लिए आयोजन से मात्र 24 दिन पहले दिनांक 21.10.2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में एक बैठक बुलाई गई, जिसमें तय हुआ कि राज्य के सभी मध्य विद्यालयों के बच्चों की ओर से 15 नवंबर की सुबह प्रभात फेरी निकाली जाए और इस अवसर पर स्कूली बच्चों को एक टी-शर्ट और एक मिठाई का पैकेट दिया जाए.
- आयोजन से मात्र 19 दिन पहले दिनांक 26.10.2016 को आयोजन पर होने वाले खर्च के लिये आपूतिकर्ताओं का चयन मनोनयन के आधार पर करने के लिए नियम-245 के अधीन नियम-235 को शिथिल करने के प्रस्ताव पर सहमति के लिये संचिका वित्त विभाग को प्रेषित की गई. इसमें भी जिक्र है कि प्रभात फेरी के बाद नाश्ते के लिए स्कूली छात्रों को मिठाई का पैकेट दिया जाए.
- दिनांक 28.10.2016 को 10 करोड़ रुपए अग्रिम लेने की संचिका वित्त विभाग को बढ़ाई गई, जिस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री का हस्ताक्षर है. कार्यक्रम आयोजन के करीब एक सप्ताह पूर्व 09.11.2016 को 3 करोड़ रुपए की निकासी का आदेश मुख्यमंत्री ने दिया. 11 नवम्बर, 2016 को पहली बार मिठाई के साथ-साथ टाॅफी (मिठाई/टाॅफी) की खरीद का जिक्र हुआ और जमशेदपुर के लल्ला इंटरप्राइजेज से टाॅफी की खरीद करने का निर्णय हुआ.
- दिनांक 10.11.2018 को मिठाई/टाॅफी की आपूर्ति करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र स्थित ‘लल्ला इंटरप्राइजेज’ का मनोनयन करने के लिए मंत्रिमंडल सचिवालय के सचिव को पत्र भेजा गया कि वे ‘लल्ला इंटरप्राईजेज’ से टाॅफी और मिठाई क्रय करने की अनुमति दें. इसके दो दिन बाद से ही 12,13 और 14 नवंबर को ‘लल्ला इंटरप्राईजेज’ की ओर से झारखंड शिक्षा परियोजना को टाॅफी और ‘कुडू फैब्रिक्स’ की ओर से टी-शर्ट की आपूर्ति जमशेदपुर, रांची और धनबाद में आपूर्ति कर दी गई, जबकि आपूर्ति केवल रांची में ही करनी थी. 14 नवंबर को आधे से अधिक टी-शर्ट और टाॅफी की आपूर्ति रांची में दिखा दी गई और 15 नवंबर की सुबह प्रभात फेरी में भाग लेनेवाले बच्चों को देने के लिए टी-शर्ट और टाॅफी की यह खेप राज्य के दूर-दराज स्थानों के विद्यालयों में उपलब्ध करा दी गई.
ये भी पढ़ें-बंगाल में कार्यकर्ता की मां की मौत पर BJP नेता हुए लाल, कहा- अन्याय का अंत नजदीक
अलग-अलग बिल भुगतान की रसीद पर एक ही पेन से हस्ताक्षर
टाॅफी और टी-शर्ट की खेप एक ही रात में राज्य के दूर-दराज के स्कूलों में किस माध्यम से पहुंचा दी गई, यह एक रहस्य है. इतना ही नहीं राज्य सरकार की ओर से राज्य के जितने विद्यालयों में टाॅफी और टी-शर्ट उपलब्ध कराने का ब्योरा दिया गया है और विभिन्न जिलों से प्रखंडों में जितने विद्यालयों में टाॅफी और टी-शर्ट पहुंचाने के आंकड़े दिए गए हैं, उनकी संख्या में करीब 9 हजार का अंतर है. यानी इस काम के लिए राज्य मुख्यालय की ओर से जितने स्कूलों में टाॅफी और टी-शर्ट भेजा गया, उनकी संख्या प्रखंड मुख्यालय की ओर से जितने विद्यालयों में टाॅफी एवं टी-शर्ट बांटी गई, उसकी संख्या से करीब 9 हजार अधिक है. यह इसलिए है कि विधानसभा में प्रश्न होने के बाद आनन-फानन में टाॅफी और टी-शर्ट वितरण का हिसाब-किताब फर्जी तरीके से शिक्षा विभाग की ओर से तैयार किया गया. एक ही प्रकार के कंप्यूटर जनित फार्मेट में प्राप्ति रसीदें तैयार की गई हैं, जिनपर किया हुआ हस्ताक्षर और कलम की स्याही भी मिलता जुलता प्रतीत होता है, मानो यह हस्ताक्षर एक ही व्यक्ति ने एक ही कलम से किया है.
ये भी पढ़ें-रांची का आईटीआई बस स्टैंड बदहाल, पानी, सफाई और सुरक्षा के इंतजाम नहीं
एक साथ कई अन्य घोटालों का भी आरोप
भ्रष्टाचार का यह मामला केवल टाॅफी, टी-शर्ट की आपूर्ति और सुनिधि चौहान के कार्यक्रम तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक कार्यक्रम में लगाये गये टेंटनुमा जर्मन हैंगर, शहर की साज-सज्जा, रांची में सड़कों की मरम्मति और रांची शहर में बिजली के हजारों पोल पर की गई विद्युत साज-सज्जा की व्यवस्था आदि सभी कार्यक्रमों के लिये आपूर्तिकर्ताओं का चयन निविदा के आधार पर न होकर मनोनयन के आधार पर हुआ है. इस भ्रष्टाचार और अनियमितता में राज्य के वाणिज्य-कर विभाग के साथ ही शिक्षा विभाग, मंत्रिमंडल सचिवालय एवं समन्वय विभाग, पथ निर्माण विभाग, ऊर्जा विभाग आदि भी शामिल है. इसलिये इस मामले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, विधान सभा की समिति अथवा किसी अन्य बाह्य एजेंसी से कराये जाने की आवश्यकता है. एक दिन के कार्यक्रम के लिए 15-20 करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च करने और इसके लिए एजेंसियों का चयन मनोनयन के आधार पर करने के पीछे की साजिश की गहन जांच जरूरी है. इसके अतिरिक्त यह मामला वित्तीय नियमावली के नियम-245 के अधीन नियम-235 को शिथिल करने के प्रावधान के दुरूपयोग से भी जुड़ा है. यह मामला सीधे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास से जुड़ा हुआ है, जिनकी संलिप्तता इस मामले में कदम-कदम पर दिखाई पड़ती है.