रांची: आदिवासी बाहुल्य राज्य झारखंड में सरना धर्म कोड की मांग एक लंबे अरसे से चली आ रही है. जो एक बार फिर जोर पकड़ता दिख रहा है. सरना धर्म कोड को लेकर राज्य के तमाम आदिवासियों ने सड़क पर उतर कर मानव श्रृंखला बनाई और विधानसभा के मानसून सत्र में सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पास कर केंद्र सरकार को भेजने की मांग की.
मानव श्रृंखला बनाकर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया
आदिवासी समुदाय के लोगों ने सड़क के विभिन्न चौक-चौराहों पर विशाल मानव श्रृंखला बनाकर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने का काम किया. वहीं आदिवासियों की इस मांग के समर्थन में कई दूसरे समुदाय के लोग भी सड़क पर उतरे, जो इस लड़ाई में हमेशा साथ देने की बात कह रहे हैं. आदिवासी सामाजिक धार्मिक संगठनों के मुताबिक सरना समाज के लोग राजनीति का शिकार होते रहे हैं. तमाम राजनीतिक दल ने सरना धर्म कोड को चुनावी मुद्दा बनाकर सत्ता में काबिज होते हैं. लेकिन बाद में यह मुद्दा गायब हो जाता है.
इस बार आर पार की लड़ाई
आदिवासी समाज के लोग प्रकृति के पूजक होते हैं. जिनका पहचान इनके सभ्यता संस्कृति और परंपरा से होती है. जो इनके धार्मिक अनुष्ठान में देखने को मिलती है. जिसे आदिवासी समाज के लोग आदि काल से ही बचाए रखा है. लेकिन बड़ी दुर्भाग्य है कि आजादी के 73 साल बीत जाने के बाद भी इन्हें अपना धार्मिक पहचान नहीं मिल पाया है अब अपनी धार्मिक पहचान को पाने के लिए समाज के लोग जागरूक हो चुके हैं. आगामी 2021 में होने वाले जनगणना में सरना धर्म कॉलम अंकित किया जाए. इसको लेकर आर पार की लड़ाई लड़ने के मूड में है.