रांचीः मंगलवार को मानसून सत्र के अंतिम दिन, झारखंड सरकार सरना धर्म कोड को लेकर प्रस्ताव ला सकती है. इसे लेकर सदन के बाहर जमकर राजनीति हो रही है. सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने कहा कि आदिवासी संगठन के लोग लंबे समय से धरना धर्म कोड की मांग कर रहे हैं और कई बार इस मुद्दे को सदन के अंदर और बाहर मुद्दा लाई गई है. ऐसे में सरकार को विधानसभा में पारित कर केंद्र में भेजना चाहिए.
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मांग जायज
मांडर से विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि आदिवासियों की सरना धर्म कोड की मांग बिल्कुल जायज है. लगभग राज्य में एक करोड़ से अधिक जनसंख्या आदिवासियों की है. जनगणना के कॉलम में उनका नाम नहीं होना जैसे आदिवासियों के पहचान को खत्म करने जैसा है, इसलिए उनकी मांग जायज है कि 2021 में होने वाली जनगणना में अलग से आदिवासियों का कॉलम रहे. ऐसे में सरकार को उनकी जाएगी मांग को पूरा करते हुए सदन से पारित कर केंद्र सरकार को भेजना चाहिए. वहीं भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने सरना धर्म कोड की मांग को लेकर कहा कि आदिवासी धर्म के लोग अलग सरना धर्म कोड लागू करने को लेकर हम लोगों को भी ज्ञापन दिए हैं और इनका मांग वर्षों से चल रहा है. उनकी मांग अपनी जगह में अच्छी है और उन पर सरकार को विचार करनी चाहिए.