रांची: कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से सुझाए गए प्राथमिक उपायों में सेनेटाइजर का उपयोग महत्वपूर्ण माना जा रहा है. हालांकि वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में लोगों को साबुन से कम से कम 20 सेकेंड तक हाथ धोने की सलाह भी दी जा रही है, बावजूद इसके सेनेटाइजर अब रोजमर्रा की जिंदगी के लिए जरूरी सामानों की लिस्ट में शुमार हो गया है. अब हालत यह हो गई है कि सरकारी दफ्तरों के दरवाजे पर भी सेनेटाइजर की बोतल लिए खड़े हर आने जाने वालों के हाथ सेनेटाइज कर रहे हैं.
हाथ से नाक और आंख तक न पहुंचे संक्रमण
दरअसल कोरोना वायरस के संक्रमण का सबसे ज्यादा डर हाथों के माध्यम से नाक और मुंह तक पहुंचने का है. यही वजह है कि हाथों को सेनेटाइज करने पर सबसे ज्यादा जोर दिया जा रहा है.
किस तरह के सेनेटाइजर की है मांग
पूरी दुनिया में कहर मचा रहा कोरोना वायरस व्यक्ति के शरीर में हाथों से इंट्री न हो इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन भी हाथ सेनेटाइज करने की वकालत कर रहा है. डब्ल्यूएचओ की मानें तो अल्कोहल बेस्ड सेनेटाइजर का उपयोग मौजूदा माहौल में सबसे जरूरी है. ऐसे में बाजार में वैसे सेनेटाइजर की मांग अचानक बढ़ रही है, जिसमें 70% अल्कोहल की मात्रा हो. एक तरफ साबुन बनाने वाली कंपनियां भी अपना सेनेटाइजर बाजार में उतार चुकी हैं.
वहीं, दूसरी तरफ स्थानीय स्तर पर भी सेनेटाइजर बनाने का प्रयास जारी है. इतना ही नहीं योग गुरु बाबा रामदेव भी इस दौड़ में पीछे नहीं है. लोगों की मानें तो अब इतनी अवेयरनेस आ गई है कि बिना सेनेटाइजर के लोग घर से बाहर भी नहीं निकल रहे हैं. इतना ही नहीं अब लोगों के अलावा इस्तेमाल किए जा रहे वाहनों को सेनेटाइज करने की भी वकालत शुरु हो गई है.
जिंदगी मिलेगी न दोबारा फाउंडेशन के अश्विनी राजगढ़िया कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील का असर है, कि लोग अब सेनेटाइजर को लेकर अवेयर हो गए हैं, साथ ही अब वाहनों के सेनेटाइजेशन की भी जरूरत होने लगी है.
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इन बातों का रखना होता है ध्यान
हाथों पर सेनेटाइजर के उपयोग करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हाथ साफ करने से पहले सूखे हो, साथ ही सेनेटाइजर के उपयोग के बाद हाथ नहीं धोने हैं. इसके अलावे यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि सेनेटाइजर त्वचा में ठीक से अवशोषित हो गया हो. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी में काम करने वाले कर्मचारी ने बताया कि सेनेटाइजर अब आम जीवन का एक हिस्सा बन गया है.
डिमांड से कालाबाजारी और डुप्लीकेसी की संभावनाएं बढीं
दरअसल, जैसे ही कोरोना वायरस का कहर बरपना शुरू हुआ है वैसे ही सेनेटाइजर की डिमांड भी बढ़ी है. इसका फायदा उठाने के लिए कुछ ऐसे तत्व भी सक्रिय हो गए जो उस सेनेटाइजर के नाम पर स्थानीय स्तर पर कुछ भी बेचने को आमादा हो गए हैं. बाजार में मिलने वाली सेनेटाइजर की 40 रुपये की 200 एमएल की बोतल 60 रुपये तक में बिकने लगी है. हालांकि लॉकडाउन की वजह से ऐसे तत्वों पर सरकार और प्रशासन नकेल कसने में लगा है. राजधानी रांची के अलावा कई शहरों के कुछ दुकानों में छापे मारे गए. औषधि विभाग की टीम ने छापेमारी में कुछ वैसे सेनेटाइजर भी बरामद किए गए हैं, जिनमें न तो मैन्युफैक्चरिंग की तारीख है और नहीं एक्सपायरी की डिटेल. लोगों की मानें तो ऐसे में एक तरफ जहां डुप्लीकेसी की संभावना बढ़ रही है, वहीं अच्छे स्तर के सेनेटाइजर की कालाबाजारी भी संभावित है. पिछले दिनों जमशेदपुर में भी कथित तौर पर डुप्लीकेट हैंड सेनेटाइजर बेचने वालों के खिलाफ भी छापे मारे गए थे.