रांची:प्रदेश भाजपा दो फ्रंट पर काम करती दिख रही है. एक तरफ प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी जनता के बीच जाकर सरकार को भ्रष्टाचार साबित करने में जुटे हैं तो दूसरी तरफ पार्टी में नये चेहरों को शामिल कर राजनीतिक जमीन मजबूत कर रहे हैं. इस कड़ी में झारखंड के कद्दावर नेता रहे स्व. समरेश सिंह की पुत्रवधु परिंदा सिंह को भाजपा की सदस्यता दिलायी गई.
भाजपा के लिए यह बड़ी सफलता इसलिए है क्योंकि 2019 के चुनाव में समरेश सिंह के तीसरे बेटे संग्राम सिंह की पत्नी श्वेता सिंह ने कांग्रेस की टिकट पर भाजपा प्रत्याशी बिरंची नारायण को टक्कर दी थी. हालांकि वह काफी कम वोट के अंतर से हार गईं थीं. अब भाजपा ने उस परिवार में अपनी सेंध लगा दी है.
एक दौर था जब समरेश सिंह झारखंड में भाजपा के सबसे बड़े नेता के रुप में जाने जाते थे. वह भाजपा के संस्थापक सदस्य थे. कहा जाता है कि मुंबई में भाजपा के पहले अधिवेशन में कमल को निशान बनाने का सुझाव समरेश सिंह ने ही दिया था, जिसे केंद्रीय नेताओं ने मंजूरी दी थी. समरेश सिंह पहली बार 1977 का चुनाव कमल के निशान पर ही जीते थे. बाद में 1985 और 1990 में भाजपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीते थे. लेकिन 1995 में भाजपा का टिकट नहीं मिलने पर वह बागी बन गये और निर्दलीय मैदान में उतर गये. उसके बाद से ही वह इधर उधर होते रहे. फिर भी पूरे राज्य में उनकी एक अलग पहचान थी. उन्हें दादा कहकर बुलाया जाता था.
स्व. समरेश सिंह की पुत्रवधु परिंदा सिंह की अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है कि उनको भाजपा की सदस्यता दिलाते वक्त प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी, मुख्य सचेतक बिरंची नारायण खुद मौजूद थे.