रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में महागठबंधन सरकार जल्द ही अपने कार्यकाल के चार साल पूरे करने जा रही है. इन चार वर्षों में सरकार ने कैसा प्रदर्शन किया है, 2019 में सत्ता में आने के लिए जो वादे किए थे उन पर वह कितनी खरी उतरी है? ये जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने सत्ताधारी दलों के विधायकों से बात की. किसी ने हेमंत सोरेन की सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताते हुए शून्य अंक दिए, तो किसी ने कहा कि हेमंत सरकार का काम एक्सीलेंट रहा है और उन्हें 100% मार्क्स मिलना चाहिए.
यह सरकार किसी भी नंबर के लायक नहीं है-लोबिन:झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने स्थानीय नीति, नियोजन नीति और पेसा कानून लागू करने में हेमंत सोरेन सरकार की अक्षमता को बड़ी विफलता करार देते हुए कहा कि यह सरकार एक भी अंक की हकदार नहीं है. उन्होंने कहा कि इस सरकार ने राज्य की जनता को सिर्फ धोखा देने का काम किया है.
'हेमंत सरकार शत प्रतिशत अंक की हकदार':हेमंत सोरेन की सरकार में अनुसूचित जाति और जनजाति कल्याण मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि झारखंड राज्य के अलग होने के बाद राज्य के आदिवासियों और मूलवासियों में जो उम्मीद की किरण दिखी थी, उसे पूरा करने में यह सरकार लगी हुई है. चंपई सोरेन ने कहा कि सरकार ने खतियान आधारित स्थानीय नीति, ओबीसी आरक्षण, सरना धर्म कोड, पारा शिक्षकों का स्थायीकरण, नौकरी और रोजगार, प्रतिभावान आदिवासी युवाओं को अपने खर्च पर पढ़ाई के लिए विदेश भेजने की योजना समेत कई काम किये हैं, जो आम लोगों को लाभ पहुंचा रहे हैं. यह सरकार के लिए बहुत फायदेमंद है. इसलिए चार साल में से दो साल कोरोना के कारण बर्बाद होने के बावजूद इस सरकार को 100 फीसदी अंक मिलने चाहिए.