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डुमरी में बजी चुनावी डुगडुगी, जयराम महतो की क्या होगी भूमिका, क्या है झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति की तैयारी - जयराम महतो को फंडिंग

डुमरी में उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है. सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता पिछले कुछ महीनों से इस क्षेत्र में सक्रीय हैं. लेकिन इस बीच राज्य के एक उभरते हुए नेता जयराम महतो भी खूब सक्रीय हैं. इस उपचुनाव में उनकी क्या भूमिका होगी, वो खुद चुनाव लड़ेंगे या फिर किसी पार्टी को अपना समर्थन देंगे, इसे लेकर बहुत बातें हो रही है. क्या है झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति की तैयारी, इस रिपोर्ट में पढ़ें.

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Published : Aug 9, 2023, 5:11 PM IST

रांची: डुमरी में उपचुनाव होने जा रहा है. I.N.D.I.A प्रत्याशी के रूप में दिवंगत जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी बतौर मंत्री पहले से मैदान में हैं. एनडीए का स्टैंड अबतक क्लियर नहीं हुआ है कि प्रत्याशी आजसू का होगा या भाजपा का. दूसरी ओर डुमरी के टाइगर के रूप में मशहूर जगरनाथ महतो के असमय निधन के बाद इस सीट को निकालने के लिए झामुमो ने एड़ी चोटी लगा दी है. खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मोर्चा संभाले हुए हैं.

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चुनाव की तारीख के एलान से पहले डुमरी विधानसभा क्षेत्र में कई कार्यक्रम कर चुके हैं. लेकिन तमाम राजनीतिक समीकरणों के बीच बोकारो और धनबाद इलाके में मूलवासियों की आवाज बनकर उभरे युवा नेता जयराम महतो की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता. उनका स्टैंड डुमरी उपचुनाव के लिए बहुत मायने रखता है. उनके 60-40 नाय चलतो के नारे ने मूलवासी युवाओं को एकजुटता दी है. उनकी रैली में भारी भीड़ उमड़ती है.

अब सवाल है कि क्या अबतक झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति के बैनर तले आंदोलन कर रहे युवा नेता जयराम महतो डुमरी के मैदान में ताल ठोकेंगे. 2024 में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उनका क्या स्टैंड होगा. राज्य के लोग यह भी जानना चाह रहे हैं कि जयराम महतो के आंदोलन को कौन बैकअप दे रहा है.

चुनावी समर में ताल ठोकेंगे जयराम महतो:इस बारे में उनके करीबी मोतीलाल से बात की गई. उन्होंने कहा कि पार्टी बनाने की कवायद चल रही है. रजिस्ट्रेशन होते ही विधिवत इसकी घोषणा की जाएगी. उन्होंने स्पष्ट कर दिया डुमरी उपचुनाव लड़ना होता तो काफी पहले ही इसकी घोषणा कर दी गई होती. जयराम महतो की मंशा व्यापक है. वह जानते हैं कि सदन में मजबूत पकड़ बनाए बगैर यहां के लोगों को वाजिब हक नहीं दिलाया जा सकता है. मोतीलाल ने कहा कि जयराम महतो के नेतृत्व में उनकी पार्टी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उतरेगी.

मूलवासी युवाओं के भविष्य की चिंता:मोतीलाल ने कहा कि जयराम महतो चाहते हैं कि 1932 के खतियान और अंतिम सर्वे सेटलमेंट के आधार पर स्थानीयता तय होनी चाहिए. स्थानीय नीति नहीं होने के कारण यहां की सरकारी नौकरियों पर बाहर के लोग कब्जा जमाते जा रहे हैं. खदान और फैक्ट्रियों के लिए मूलवासियों ने जमीन दी और नियोजन बाहर के लोगों को मिला. यहां के राजनीतिक दल अपने स्वार्थ की राजनीति करते रहे हैं. उनका दावा है कि जयराम महतो की बातों ने युवाओं में विश्वास जगाया है. इसका असर राजनीति के मैदान में भी दिखेगा.

किसी पार्टी से कोई लेना-देना नहीं- मोतीलाल:रही बात आंदोलन में किसी पार्टी से समर्थन मिलने की तो यह बात सफेद झूठ की तरह है. मोतीलाल ने कहा कि रामगढ़ उपचुनाव के वक्त उन्हें आजसू विरोधी कहा गया. मांडर उपचुनाव के वक्त भाजपा विरोधी बताया गया. बेरमो उपचुनाव के वक्त कांग्रेस विरोधी बताया गया. कोई कहता है कि सबकुछ आजसू के समर्थन से हो रहा है. लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. उन्होंने कहा कि हर रैली और कार्यक्रम की तैयारी युवा कार्यकर्ता करते हैं.

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डुमरी में होगी न्यूट्रल भूमिका:मोतीलाल से पूछा गया कि अगर डुमरी उपचुनाव नहीं लड़ना है तो फिर किसको समर्थन देंगे. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि किसी को नहीं. यह जनता तय करेगी. हमारे कार्यकर्ता भी अपने पसंद के प्रत्याशी को वोट देंगे. हम किसी को फेवर नहीं करेंगे. हमारा लक्ष्य बड़ा है. उन्होंने कहा कि हमारे आंदोलन को बदनाम करने के लिए अलग-अलग अफवाह उड़ाई जाती है.

महतो वोटर तय करते हैं जीत-हार- सुधीर पॉल:राजनीतिक विशलेषक सुधीर पॉल ने कहा कि डुमरी में महतो वोटरों का दबदबा है. महतो वोट ही हार-जीत को तय करता है. इस सीट पर महतो समाज से आने वाले जगरनाथ महतो ने लगातार चौथी जीत दर्ज की थी. उन्होंने जमीन से जुड़े नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई थी. जाहिर है कि उनके असमय निधन के बाद उनकी पत्नी को मंत्री बनाए जाने से इमोशन फैक्टर भी काम करेगा. लेकिन यह भी देखना होगा कि स्थानीय नीति को लेकर युवाओं के बीच मजबूत पकड़ के साथ उभरे जयराम महतो इस उपचुनाव में क्या भूमिका निभाते हैं.

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बात कुछ भी हो लेकिन सभी जानते हैं कि डुमरी उपचुनाव के नतीजे झारखंड के भविष्य की राजनीति को तय करेंगे. इसकी वजह भी है. चुनाव की तारीख की घोषणा के दिन ही यह बात सामने आई कि ईडी ने दोबारो सीएम को समन किया है. इस बार बात जमीन से जुड़ा है. अगर ईडी कोई बड़ा खुलासा करती है तो झामुमो के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है. साथ ही यह भी देखना होगा कि एनडीए की ओर से कैसा प्रत्याशी बेबी देवी के सामने आता है. लिहाजा, हालिया उथल पुथल से साफ हो गया है कि डुमरी उपचुनाव बेहद दिलचस्प होने जा रहा है.

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