रांची: डुमरी में उपचुनाव होने जा रहा है. I.N.D.I.A प्रत्याशी के रूप में दिवंगत जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी बतौर मंत्री पहले से मैदान में हैं. एनडीए का स्टैंड अबतक क्लियर नहीं हुआ है कि प्रत्याशी आजसू का होगा या भाजपा का. दूसरी ओर डुमरी के टाइगर के रूप में मशहूर जगरनाथ महतो के असमय निधन के बाद इस सीट को निकालने के लिए झामुमो ने एड़ी चोटी लगा दी है. खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मोर्चा संभाले हुए हैं.
ये भी पढ़ें-डुमरी विधानसभा सीट पर पांच सितंबर को होगी वोटिंग, 8 सितंबर को मतगणना
चुनाव की तारीख के एलान से पहले डुमरी विधानसभा क्षेत्र में कई कार्यक्रम कर चुके हैं. लेकिन तमाम राजनीतिक समीकरणों के बीच बोकारो और धनबाद इलाके में मूलवासियों की आवाज बनकर उभरे युवा नेता जयराम महतो की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता. उनका स्टैंड डुमरी उपचुनाव के लिए बहुत मायने रखता है. उनके 60-40 नाय चलतो के नारे ने मूलवासी युवाओं को एकजुटता दी है. उनकी रैली में भारी भीड़ उमड़ती है.
अब सवाल है कि क्या अबतक झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति के बैनर तले आंदोलन कर रहे युवा नेता जयराम महतो डुमरी के मैदान में ताल ठोकेंगे. 2024 में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उनका क्या स्टैंड होगा. राज्य के लोग यह भी जानना चाह रहे हैं कि जयराम महतो के आंदोलन को कौन बैकअप दे रहा है.
चुनावी समर में ताल ठोकेंगे जयराम महतो:इस बारे में उनके करीबी मोतीलाल से बात की गई. उन्होंने कहा कि पार्टी बनाने की कवायद चल रही है. रजिस्ट्रेशन होते ही विधिवत इसकी घोषणा की जाएगी. उन्होंने स्पष्ट कर दिया डुमरी उपचुनाव लड़ना होता तो काफी पहले ही इसकी घोषणा कर दी गई होती. जयराम महतो की मंशा व्यापक है. वह जानते हैं कि सदन में मजबूत पकड़ बनाए बगैर यहां के लोगों को वाजिब हक नहीं दिलाया जा सकता है. मोतीलाल ने कहा कि जयराम महतो के नेतृत्व में उनकी पार्टी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उतरेगी.
मूलवासी युवाओं के भविष्य की चिंता:मोतीलाल ने कहा कि जयराम महतो चाहते हैं कि 1932 के खतियान और अंतिम सर्वे सेटलमेंट के आधार पर स्थानीयता तय होनी चाहिए. स्थानीय नीति नहीं होने के कारण यहां की सरकारी नौकरियों पर बाहर के लोग कब्जा जमाते जा रहे हैं. खदान और फैक्ट्रियों के लिए मूलवासियों ने जमीन दी और नियोजन बाहर के लोगों को मिला. यहां के राजनीतिक दल अपने स्वार्थ की राजनीति करते रहे हैं. उनका दावा है कि जयराम महतो की बातों ने युवाओं में विश्वास जगाया है. इसका असर राजनीति के मैदान में भी दिखेगा.