रांचीःराजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को झारखंड हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है. इसके साथ ही उनकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया है. इसे लेकर राजद समर्थकों में खुशी की लहर है. इसी कड़ी में राजद के प्रदेश अध्यक्ष अभय सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.
लालू यादव की जमानत पर आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष अभय सिंह की प्रतिक्रिया ये भी पढ़ें-लालू यादव को हाई कोर्ट से जमानत, जानिए चपरासी क्वार्टर से लेकर बिरसा मुंडा जेल तक की पूरी कहानी
कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर
अभय सिंह ने कहा कि लालू यादव गरीबों के नेता है, इसलिए देर से ही सही, लेकिन न्यायालय से उन्हें न्याय मिला. उन्होंने बताया कि हाई कोर्ट ने कहा था कि आधी सजा पूरा हो जाने के बाद लालू यादव को बेल दे दिया जाएगा, लेकिन सीबीआई ने समय ले लिया था, जिससे मामला अटक गया. उन्होंने कहा कि लालू यादव को जमानत मिलने से राजद कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है और कोरोना महामारी को देखते हुए किसी तरह की आतिशबाजी नहीं की जाएगी और ना ही मिठाई बांटी जाएगी.
रिहाई का रास्ता साफ
बता दें कि चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव को बड़ी राहत मिली है. झारखंड हाई कोर्ट ने दुमका कोषागार से अवैध निकासी के मामले में लालू यादव को जमानत दे दी है. लालू यादव की ओर से बताया गया है कि दुमका कोषागार से अवैध निकासी के मामले उन्होंने आधी सजा पूरी कर ली गई है. सीबीआई की ओर से जमानत का विरोध किया गया, लेकिन अदालत ने सीबीआई के आग्रह को नकार दिया है. चारा घोटाले से संबंधित चाईबासा और देवघर कोषागार मामले में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है, जबकि डोरंडा कोषागार मामले में सुनवाई जारी है. ऐसे में लालू यादव की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है. लालू यादव फिलहाल एम्स दिल्ली में इलाज करवा रहे हैं. उन्हें रिम्स रांची से 23 जनवरी 2021 को एम्स शिफ्ट किया गया था.
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चारा घोटाला मामला
27 जनवरी 1996 को पश्चिम सिंहभूम जिले में पशुधन विभाग पर तत्कालीन उपायुक्त अमित खरे के छापे के दौरान पता चला कि चारा सप्लाई के नाम पर जिन कंपनियों को भुगतान किया गया था, उन कंपनियों का अस्तित्व ही नहीं था. जांच में अलग अलग कोषागारों से करीब 950 करोड़ रुपए का घोटाला पाया गया. उस वक्त झारखंड बिहार से अलग नहीं हुआ था और राज्य में राष्ट्रीय जनता दल की सरकार थी. विपक्ष ने तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि इतना बड़ा घोटाला सरकार की मिलीभगत के बिना नहीं हो सकता. उन्होंने घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की. 11 मार्च 1996 को पटना हाईकोर्ट ने घोटाले की जांच सीबीआई को ट्रांसफर करने के आदेश दिए. सीबीआई ने जांच के बाद लालू यादव सहित 55 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, जिसमें धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धाराएं थीं.
छोड़नी पड़ी थी कुर्सी
27 जुलाई 1997 को लालू यादव ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर 30 जुलाई को सीबीआई कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. 5 अक्टूबर 2001 को सुप्रीम कोर्ट ने नया राज्य झारखंड बनने के बाद मामला यहां स्थानांतरित कर दिया. 30 सितंबर 2013 को रांची में सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने दो पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू यादव और जगन्नाथ मिश्र समेत 45 लोगों को दोषी करार दिया. लालू यादव पर झारखंड में चारा घोटाले के 4 मामले चल रहे हैं, जिसमें से तीन मामले में सजा दी गई है. लालू की तीनों सजा एक साथ चल रही है.
23 दिसंबर 2017 से कैद
लालू यादव 23 दिसंबर 2017 से रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय जेल में हैं. खराब स्वास्थ्य के कारण फिलहाल वे एम्स दिल्ली में इलाज करवा रहे हैं. लालू यादव को शुगर, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट, किडनी प्रॉब्लम के साथ करीब एक दर्जन बीमारियों ने चपेट में ले रखा है.