रांची:भागदौड़ भरी जिंदगी में कई बार हमें पता नहीं चलता कि जो आदत हमें लगी हैं, वह हमारे भविष्य के लिए कितनी खतरनाक है. आमतौर पर हम अपनी जेब में मोबाइल रखते हैं लेकिन यह आदत नपुंसकता का शिकार बना सकती है. पर्यावरण, ग्लोबल वॉर्मिंग, खान-पान और रहन-सहन में बदलाव और जीवन में बढ़ रहे तनाव से लोग कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं और इससे बड़ी संख्या में पुरुष नपुंसकता के शिकार हो रहे हैं.
डॉक्टरों के मुताबिक बच्चे पैदा नहीं कर पाने के लिए सिर्फ महिला ही दोषी नहीं है, बल्कि पुरुष भी उतना ही जिम्मेदार होता है. वर्तमान समय में इसका बड़ा कारण है पैंट की जेब में मोबाइल रखना. डॉक्टरों की मानें तो स्मार्ट फोन के रेडिएशन और हीट के चलते अगर आप पैंट के पॉकेट में हमेशा मोबाइल रखते हैं तो इससे शुक्राणुओं पर खराब असर पड़ता है.
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हर छठा परिवार इस बीमारी से ग्रसित
रांची के प्रख्यात डॉक्टर प्रेम कुमार ने बताया कि यह समस्या कितनी बड़ी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर छठा परिवार इस समस्या से जूझ रहा है. यानि 15-20% परिवार ऐसे हैं, जो बच्चे नहीं होने की समस्या से जूझ रहे हैं और इसका 50% हिस्सा पुरुषों में होने वाली समस्या से है. डॉ. प्रेम ने बताया कि मोबाइल और अन्य गैजेट से रेडिएशन की वजह से जिस तरह महिलाओं में अंडे कम हो रहे हैं वैसे ही पुरुषों में शुक्राणु कम हो रहे हैं या उसकी क्वालिटी कम हो रही है.
रिम्स के चर्म एवं यौन रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रभात कुमार कहते हैं कि मजबूत स्पर्म के लिए शरीर के तापमान से कम तापमान टेस्टिस में होनी चाहिए. इसलिए प्रकृति ने उसे पूरे शरीर से अलग बनाया है लेकिन जब हम पैंट के पॉकेट में मोबाइल रखते हैं तो मोबाइल की गर्मी और वेव से शुक्राणुओं पर असर पड़ता है. जन्म से होने वाली समस्याओं के अलावा जीवन में विभिन्न कारणों से तनाव, फूड हैबिट में जंक फूड का बढ़ना, वर्क प्लेस ये सब पुरुषों में नपुंसकता को बढ़ा सकते हैं.
कैसे कम करें खतरा ?
डॉ. प्रेम ने नपुंसकता को कम करने के लिए युवाओं को सलाह दी कि वह पैंट के पॉकेट में मोबाइल फोन ना रखें. मोबाइल आज की जरूरत हो गई है तो उसके लिए एक बैग रखें. बहुत जरूरी हो सीटी स्कैन कराएं. ग्रीन वेजिटेबल और एंटीऑक्सीडेंट फूड को खाने में शामिल करें. युवा किसी तरह का नशा नहीं करें. कुक के काम में लगे लोग का वर्क टाइम कम करें क्योंकि चूल्हे की गर्मी में लगातार रहने का स्पर्म पर खराब असर पड़ता है.
डॉ. प्रेम ने बताया कि बोकारो के चंदकियारी, पुरुलिया और रामगढ़ के कुछ इलाकों में पुरुष नपुंसकता के केस ज्यादा मिल रहे हैं, लेकिन इसकी वजह क्या है इस पर रिसर्च होना चाहिए.
क्या कहती हैं महिला IVF एक्सपर्ट ?
डॉ सर्बजया सिंह ने बताया कि लड़कियों में मोटापा, देर से शादी, शादी के बाद फैमिली प्लानिंग में देरी, मिलावटी खाद्य पदार्थ और रेडिएशन की वजह से ना सिर्फ अंडे की संख्या घटी है बल्कि बांझपन की समस्या बढ़ी है. डॉक्टर बताती हैं कि शादी के एक साल तक परिवार नियोजन का कोई साधन इस्तेमाल नहीं करने के बाद भी गर्भ ना ठहरे तो डॉक्टर के पास जाने से ना हिचकें. इस समस्या को कम करने के लिए खुद को ना सिर्फ फिट रखें, बल्कि डॉक्टरों की तरफ से सुझाए सारे कदम उठाएं. इससे वर्तमान के साथ-साथ भविष्य में भी नपुंसकता के खतरे को कम कर सकेंगे.