रांची: राज्य का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल रिम्स अक्सर बेपटरी स्वास्थ्य व्यवस्था, दवा पट्टी की किल्लत और अन्य कारणों से सुर्खियों में बना रहता है. इन नेगेटिव खबरों के बीच एक अच्छी खबर यह है कि करीब दो दशक पहले राजेन्द्र मेडिकल कॉलेज अस्पताल (RMCH) को जिस शोध केंद्र के रूप में विकसित करने के सपने के साथ राजेन्द्र इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस ( RIMS) के रूप में तब्दील किया गया था, वह शोध संस्थान बनाने का सपना अब पूरा होने वाला है (RIMS will become hub in field of medical research).
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रिम्स के डीन (रिसर्च) डॉ प्रदीप भट्टाचार्या ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए इसकी जानकारी दी कि रिम्स में कम्युनिटी बेस्ड 32 नया रिसर्च यानि शोध अलग अलग विभागों में होना है. इसके लिए 02 करोड़ रुपये का बजट भी गवर्निंग बॉडी से स्वीकृत हो चुका है.
रिम्स के डीन रिसर्च डॉ प्रदीप भट्टाचार्या ने बताया कि रिम्स और पूरे भारत के अलग अलग फैकल्टी के 100 से अधिक वरिष्ठ डॉक्टरों को मेडिकल के क्षेत्र में शोध की आधुनिक तकनीक की जानकारी दी जाएगी. इसके लिए कनाडा से गॉर्डन गुयाट और प्रोफेसर ब्रैम रोचवर्ग की कार्यशाला 16-18 दिसंहर तक रांची में होगी. हेल्थ साइंस सेंटर, मैकमास्टर यूनिवर्सिटी कनाडा से जुड़े हैं, ये दोनों विश्व विख्यात रिसर्चर हैं और रिम्स सहित देशभर के 100 से अधिक सीनियर डॉक्टर्स को मेडिकल के क्षेत्र में रिसर्च की तकनीक सिखाएंगे.
डॉ भटाचार्य ने बताया कि तीन दिवसीय रिसर्च कार्यशाला का नाम ग्रेड वर्कशॉप ऑन रिसर्च रखा गया है. समुदाय आधारित वर्कशॉप का फायदा समाज, संस्थान और सरकार की नीतियां बनाने में हो, इसके लिए ही रिम्स को एक आदर्श अस्पताल के साथ साथ अगले पांच-दस वर्षों में रिसर्च संस्थान के रूप में पहचान बनें इसकी कोशिश की जा रही है. यह पहला मौका होगा जब कनाडा से विश्व विख्यात रिसर्च वैज्ञानिक तीन दिनों तक रांची में रहकर मेडिकल रिसर्च के आधुनिक तकनीक सहित सभी जानकारियां देंगे.